आज हम जानेगे की Anupras Alankar Ki Paribhasha | अनुप्रास अलंकार अर्थ | अनुप्रास अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित | anupras alankar in hindi | आपको हम इसमें बताने वाले है.
Anupras Alankar Ki Paribhasha-
अब हम यंहा पर अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं, anupras alankar kya hai, anupras alankar definition in hindi में बताने वाले है-
“जहाँ पर किसी व्यंजन वर्ण की आवृत्ति होती है वहाँ पर अनुप्रास अलंकार होता है। आवृत्ति का अर्थ है दुहराना।”
अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अनु + प्रास।
यहाँ पर अनु का अर्थ है- बार -बार और प्रास का अर्थ होता है – वर्ण।
जब किसी वर्ण की बार – बार आवर्ती हो तब जो चमत्कार होता है उसे अनुप्रास अलंकार कहते है।
जहां पर कोई अक्षर बार बार आये या उस वर्ण को बार बार दुहराया जाए वहां पर अनुप्रास अलंकार होता है।
अनुप्रास अलंकार के प्रकार-
अनुप्रास अलंकार के पांच प्रकार होते हैं –
- छेकानुप्रास अलंकार
- वृत्यानुप्रास अलंकार
- लाटानुप्रास अलंकार
- अन्त्यानुप्रास अलंकार
- श्रुत्यानुप्रास अलंकार
लाटानुप्रास अलंकार-
लाट शब्द समूह को दर्शाता है। अतः जहां पर एक अर्थ व शब्द की आवृत्ति हो वहां लाटानुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण – पूत सपूत तो का धन संचय।
पूत कपूत तो का धन संचय।।
अन्त्यानुप्रास अलंकार-
जहाँ पर पंक्तियों या पदों के अंत एक समान के वर्ण से हों वहां पर अन्त्यानुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण – रघुपति राघव राजा राम।
पतित पावन सीता राम ।।
श्रुत्यानुप्रास अलंकार-
जहां पर एक ही वर्ग के अक्षर बार बार आएं तो उसे श्रुत्यानुप्रास अलंकार कहते हैं । यह अधिकतर पद्य रचनाओं में होता है।
उदाहरण – बंदऊं गुरु पद पदुम परागा।
सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥
छेकानुप्रास अलंकार-
जब एक से अधिक वर्णो की आवृत्ति होती है वहां पर छेकानुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण – बुझत स्याम कौन तू गोरी।
कहाँ रहत काकी है बेटी।।
वृत्यानुप्रास अलंकार-
जहां पर एक अक्षर की कई बार आवृत्ति हो वहां वृत्यानुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण :- मुदित महीपति मंदिर आये।
सेवक सचिव सुमंत बुलाये। ।
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित –anupras alankar examples in hindi-
उदाहरण-
लाली मेरे लाल की जित देखौं तित लाल।
कुकि – कुकि कलित कुंजन करत कलोल
जे न मित्र दुख होहिं दुखारी, तिन्हहि विलोकत पातक भारी।
निज दुख गिरि सम रज करि जाना, मित्रक दुख रज मेरु समाना।।
विमलवाणी ने वीणा ली कमल कोमल कर में सप्रीत।
बंदऊं गुरु पद पदुम परागा।
सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥
प्रतिभट कटक कटीले केते काटि-काटि कालिका-सी किलकि कलेऊ देत काल को।
रावनु रथी विरथ रघुवीरा
सेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
कर कानन कुंडल मोर पखा,
उर पे बनमाल बिराजति है।
तेही निसि सीता पहुँ जाई।
त्रिजटा कहि सब कथा सुनाई॥
मुदित महीपति मंदिर आए।
सेवक सचिव सुमंत बुलाए।
राम नाम-अवलंब बिनु परमार्थ की आस ,
बरसत बारिद बूँद गहि चाहत चढ़न अकास।
चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही हैं जल-थल में।
पुरइन पात रहत ज्यों जल मन की मन ही माँझ रही।
प्रसाद के काव्य-कानन की काकली कहकहे लगाती नजर आती है।
मुदित महीपति मंदिर आए।
सेवक सचिव सुमंत बुलाए।
लाली देखन मैं गई मैं भी हो गई लाल।।
संसार की समर स्थली में धीरता धारण करो।
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा संस्कृत में –
यह भी पढ़े –
Alankar Ki Paribhasha Udaharan Sahit, अलंकार की परिभाषा
Shlesh Alankar Ki Paribhasha, श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
Utpreksha Alankar Ki Paribhasha, उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
UPMA Alankar Ki Paribhasha, उपमा अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
Yamak Alankar Ki Paribhasha, यमक अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
Rupak Alankar Ki Paribhasha, रूपक अलंकार की परिभाषा उसके प्रकार उदाहारण सहित हिंदी में.
Manvikaran Alankar Ki Paribhasha उदाहरण सहित
Bhrantiman Alankar Ki Paribhasha, भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा हिंदी में.
FAQ-
अनुप्रास अलंकार क्या है परिभाषा और उदाहरण लिखिए?
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा जहाँ स्वरों की समानता के बिना भी वर्णों की बार-बार आवृत्ति होती है, वहाँ हम अनुप्रास अलंकार का प्रयोग करते हैं।
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण: लाली मेरे लाल की जित देखौं तित लाल।
अनुप्रास अलंकार कितने प्रकार?
अनुप्रास अलंकार के दो प्रकार होते है-
(1)शब्दालंकार,(2)अर्थालंकार।
अनुप्रास अलंकार की पहचान क्या है?
अनुप्रास अलंकार की पहचान – जहाँ एक शब्द या वर्ण बार बार हो या एक या अनेक वर्णो की आवृत्ति बार बार हो वहा अनुप्रास अलंकार होता है।
अनुप्रास और यमक अलंकार में क्या अंतर है?
अनुप्रास और यमक अलंकार में अंतर – किसी काव्य में यमक अलंकार होने के लिए एक ही शब्द कि कम से कम दो बार आवृति होनी जरुरी है हर बार शब्द का अर्थ अलग अलग होता.
जिस अलंकार में किसी शब्द की आवृत्ति बार-बार होती है और जिस रचना में व्यंजनों की बार-बार आवृत्ति के कारण चमत्कार पैदा हो। उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं
निकर्ष-
- जैसा की आज हमने आपको Anupras Alankar Ki Paribhasha, अनुप्रास अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित, anupras alankar ka paribhasha aur udaharan जानकारी के बारे में आपको बताया है.
- इसकी सारी प्रोसेस स्टेप बाई स्टेप बताई है उसे आप फोलो करते जाओ निश्चित ही आपकी समस्या का समाधान होगा.
- यदि फिर भी कोई संदेह रह जाता है तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट कर सकते और पूछ सकते की केसे क्या करना है.
- में निश्चित ही आपकी पूरी समस्या का समाधान निकालूँगा और आपको हमारा द्वारा प्रदान की गयी जानकरी आपको अच्छी लगी होतो फिर आपको इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते है.
- यदि हमारे द्वारा प्रदान की सुचना और प्रक्रिया से लाभ हुआ होतो हमारे BLOG पर फिर से VISIT करे.
10 thoughts on “Anupras Alankar Ki Paribhasha, अनुप्रास अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित”