आज हम आपको Barve Chhand Ki Paribhasha In Hindi, बरवै छंद की परिभाषा, Barve Chhand Ka Udaharan, बरवै छंद का अर्थ, के बारे में आपको बताने वाले है.
अब आपको यंहा पर हम बरवै छंद क्या है, बरवै छंद किसे कहते है, Defination Of Barve Chhand In Hindi, बरवै छंद के उदाहरण के बारे में आपको बताने वाले है-
barve Chhand Ki Paribhasha-
बरवै अर्द्धसम मात्रिक छन्द है इस छंद के पहला और तीसरा चरणों में 12-12 मात्राएँ और दुसरे और चौथे चरणों में 7-7 मात्राएँ हाती हैं सम चरणों के अन्त में ‘जगण’ (। S ।) होता है उसे बरवै छंद कहते है.
अर्ताथ-
बरवै छंद के विषम चरण में 12-12 मात्राएँ तथा सम चरण में 7-7 मात्राएँ हाती हैं इस प्रकार से कुल 19 मात्राए होती है.
गोस्वामी तुलसीदास ने ‘बरवै रामायण’ बरवै छन्दों के द्वारा ही लिखी गयी है जिसमें भगवान श्रीराम की कथा है।
Barve Chhand Ka Udaharan, बरवै छंद के उदाहरण-
उदाहरण- 1
सबसे मिलकर रह मन ! बैर बिसार |
| | s | | | | | | | |, s | | s | = 12+7= 19 माँत्राए
दुर्लभ नर तन पाकर कर उपकार ||
| s | | | | | s | |, | | | | s | = 12+7= 19 माँत्राए
व्याख्या सहित- ऊपर दिए गये उदाहरण में विषम चरण में 12-12 मात्राएँ है तथा सैम चरण में 7-7 मात्राएँ है और सम चरणों के अंत में जगण’ (। S ।) है इसीलिए यह उदाहरण बरवै छंद का है.
उदाहरण- 2
सुनके संगीत मधुर,बनो निरोग।
| | s s s | | | |, | s | s | = 12+7= 19 माँत्राए
सौंदर्य बढ़ाए वय, करो प्रयोग।।
s s s | s | | | | s | s | = 12+7= 19 माँत्राए
व्याख्या सहित- ऊपर दिए गये उदाहरण में विषम चरण में 12-12 मात्राएँ है तथा सम चरण चरण में 7-7 मात्राएँ है और सम चरणों के अंत में जगण’ (। S ।) है इसीलिए यह उदाहरण बरवै छंद का है.
उदाहरण- 3
आँख मिलेंगी सबसे,रख व्यवहार।
फूल सभी जन चाहें,एक न ख़ार।।
उदाहरण- 4
बोलो शब्द तोलकर,बनो सुजान।
वापिस तीर न आए,छुटा कमान।।
उदाहरण- 5
राम करे अब छूटे सारा काज।
झटपट प्यारे लौटें घर को आज।।
उदाहरण- 6
निर्मोही ना लौटा है परदेस।
बूझे ना विरहिनिया का वो क्लेष।।
उदाहरण- 7
चम्पक हरवा अंग मिलि,अधिक सुहाय।
जानि परै सिय हियरे ,जब कुंभिलाय।।
उदाहरण- 8
निर्मोही जग लगता अखिल समाज।
संकट में आ प्रियतम मेरी लाज।।
उदाहरण- 7
जिन सखियों के प्रियतम रहते संग।
वह सखियाँ करती हैं मुझको तंग।।
उदाहरण- 9
सावन थोड़ा भी ना मुझे सुहाय।
जितना अंबुद बरसे आग लगाय।।
उदाहरण- 10
देख पपीहा पिहु-पिहु तू मत बोल।
आये पिय स्मृति तन-मन जाये डोल।।
उदाहरण- 11
नौकरिया जीते जी देती मौत।
दास बनाके रखती पिय को सौत।।
उदाहरण- 12
देख पपीहा पिहु-पिहु तू मत बोल।
आये पिय स्मृति तन-मन जाये डोल।।
उदाहरण- 13
कैसे खोलूँ लज्जा वाले बोल।
पवन उड़ाकर चुनरी करे ठिठोल।।
उदाहरण- 14
देखे कान्त नहीं जब मेरे संग।
लाज छोड़कर छेड़े मुझे अनंग।।
उदाहरण- 15
काम कष्ट में आता,सच्चा मित्र।
आँखें मोहित करता,अच्छा चित्र।।
उदाहरण- 16
जोड़ू हाथ न मेघों फेंको नीर।
विरह दे रहा पहले से ही पीर।।
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निकर्ष-
जैसा की आज हमने आपको barve Chhand Ki Paribhasha, बरवै छंद की परिभाषा, बरवै छंद के उदाहरण के बारे में आपको बताया है.
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