Bhrantiman Alankar Ki Paribhasha, भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा हिंदी में.

आज हम जानेगे की Bhrantiman Alankar Ki Paribhasha | bhrantiman alankar in hindi | भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा क्या है | भ्रांतिमान अलंकार का अर्थ के बारे में आपको बताने वाले है.

Bhrantiman Alankar Ki Paribhasha, भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा-

अब हम आपको बताने वाले है की bhrantiman alankar kya hai | bhrantiman alankar kise kahate hain | bhrantiman alankar Definition in hindi के बारे में बताने वाले है-

भ्रांतिमान अलंकार वह है जो अलंकार में उपमेय में उपमान के होने का भ्रम अथवा सम्भावना होती है वहाँ पर भ्रांतिमान अलंकार होता है यानि की जब एक वस्तु को देखने पर दूसरी वस्तु से सम्बंधित भ्रम उत्पन्न हो जाता है वह भ्रांतिमान अलंकार कहलाता है।

अर्तार्थ जब किसी पदार्थ को देखकर हम उसे उसके समान गुणों या विशेषताओं वाले किसी अन्य पदार्थ (उपमान) के रूप में मान लेते हैं तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार माना जाता है।

Bhrantiman Alankar Ki Paribhasha, भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा
Bhrantiman Alankar Ki Paribhasha, भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा

bhrantiman alankar example in hindi – भ्रांतिमान अलंकार के उदाहरण –


बेसर-मोती-दुति झलक परी अघर पर अनि।
पट पोंछति चुनो समुझि नारी निपट अयानि॥

अर्थ– नायिका अधरों पर पङी मोतियों की उज्ज्वल झलक को पान का चूना समझ लेती है और उसे पट से पोंछने का प्रयत्न करती है।

भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा

’’नाक का मोती अधर की कान्ति से, बीज दाडिम का समझकर भ्रान्ति से।
देखकर सहसा हुआ शुक मौन है, सोचता है अन्य शुक यह कौन है।।’’

 अर्थ– नाक के आभूषण के मोती में अनार (दाडिम) के बीज का भ्रम उत्पन्न हो रहा है,

किंशुका कलिका जानकर, अलि गिरता शुक चोंच पर।
शुक मुख में धरता उसे, जामुन का फल समझकर।।’’

अर्थ– भ्रमर को तोते की लाल चोंच में पलास के पुष्प का तथा तोते को भ्रमर में जामुन के फल का भ्रम उत्पन्न हो रहा है.

बिल विचार कर नागशुण्ड में घुसने लगा विषैला साँप ।
काली ईख समझ विषधर को, उठा लिया तब गज ने आप॥

अर्थ– साँप को हाथी की सुँड में बिल का और हाथी को सांप में काले गन्ने का भ्रम दिखाया गया है.

पाप महावर देन को नाइन बैठी आय।
पुनि-पुनि जान महावरी एड़ी मोड़ित जाय।।

अर्थ– यहाँ पर नाइन एड़ी की लालिमा को महावर समझकर भ्रम में पड़ जाती है, और सुन्दरी की एड़ी को मोड़ती जाती है.

bhrantiman अलंकार के उदाहरण- भ्रांतिमान अलंकार के अन्य उदाहरण

फिरत घरन नूतन पथिक चले चकित चित भागि। फूल्यो देख पलास वन, समुहें समुझि दवागि ।।

  • वृन्दावन विहरत भिरै, राधा नन्द किशोर ।
  •  नीरद यामिनी जानि संग डोलै बोलै मोर ।।
  • नाक का मोती अधर की कांति से,
  • बीज दाड़िम (अनार का दाना) का समझकर भ्रांति से,

मुन्ना तब मम्मी के सर पर देख-देख दो चोटी,
भाग उठा भय मानकर सर पर सॉपिन लोटी।

  • कपि करि हृदय विचारि, दीन्हि मुद्रिका डारि तब ।
  •  जानि अशोक अंगार, सीय हरषि उठि कर गहेउ ।।
  • देख उसको ही हुआ शुक मौन है,
  • सोचता है, अन्य शुक यह कौन है।

’जानि स्याम को स्याम-घन नाचि उठे वन मोर।’

’री सखि मोहि बचाय, या मतवारे भ्रमर सों।
डस्यो चहत मुख आय, भरम भरी बारिज गुनै।।’

भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा

’’कुहू निशा में परछाई को प्रेत समझकर हुआ अचेत।’’

’’नाच अचानक ही उठे, बिनु पावस वन मोर।
जानत ही नंदित करी, यह दिसि नंद किशोर।।

’’अधरों पर अलि मंडराते, केशों पर मुग्ध पपीहा।

  • नाक का मोती अधर की कांति से,
  • देख उसको ही हुआ शुक मौन है,
  • सोचता है, अन्य शुक यह कौन है।
  • पाप महावर देन को नाइन बैठी आय।

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FAQ-

भ्रांतिमान अलंकार का उदाहरण क्या है?

अधरों पर अलि मंडराते केशों पर मुग्ध पपीहा
जान श्याम घनश्याम को नाच उठे वन मोर पंख

संदेह और भ्रांतिमान अलंकार में क्या अंतर है?

संदेह और भ्रांतिमान अलंकार में अंतर- संदेह, एक बात के बारे में निश्चित नहीं। आप इंसान हैं या फरिश्ता? भ्रांतिमान ,पहचाना गया है लेकिन यह सिर्फ काल्पनिक है। 

निकर्ष-

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