आज हम जानेगे की Hasya Ras Ki Paribhasha In Hindi, hasya ras ka udaharan, Hasya Ras Kya Hai, हास्य रस की परिभाषा आपको हम इसमें बताने वाले है.
अब हम आपको हास्य रस किसे कहते है, हास्य रस का अर्थ, हास्य रस के 10 उदाहरण, hasya ras definition in hindi आपको नीचे बताने वाले है.-
Hasya Ras Ki Paribhasha-
- जब किसी पदार्थ या व्यक्ति की असाधारण आकृति, वेशभूषा, चेष्टा आदि को देखकर हृदय में जो विनोद का भाव जाग्रत होता है, उसे हास्य कहा जाता है।
- जब किसी काव्य को सुनने पर जब हास्य कि उत्पत्ति या हास्य से आनंद या भाव की अनुभूति होती है तो इस अनुभूति को ही हास्य रस कहते हैं।
- हास्य रस की उपस्थिती में किसी विचार, व्यक्ति, वस्तु व घटना का स्वरुप विचित्र होता है। परन्तु यह विचित्रता विस्मय या आश्चर्य को पैदा नहीं करती, वरन यह विचित्रता लक्षित व्यक्ति को गुदगुदा जाती है
- हास्य रस का स्थायी भाव हास है।
हास्य रस की परिभाषा विद्वानों द्वारा-
भरतमुनि के द्वारा हास्य रस की परिभाषा- दूसरों की चेष्टा से अनुकरण से ‘हास’ उत्पन्न होता है, तथा यह स्मित, हास एवं अतिहसित के द्वारा व्यंजित होता है।
पण्डितराज के द्वारा- ‘जिसकी, वाणी एवं अंगों के विकारों को देखने आदि से, उत्पत्ति होती है और जिसका नाम खिल जाना है, उसे ‘हास’ कहते हैं।”
hasya ras ke prakar- हास्य रस के भेद
हास्य रस के दो प्रकार हैं-
- आत्मस्थ हास्य रस
- परस्थ हास्य रस
आत्मस्थ हास्य रस-
जब किसी व्यक्ति या विषय की विचित्र वेशभूषा, वाणी, आकृति तथा चेष्टा आदि को देखने मात्र से जो हास्य उत्पन्न होता है उसे आत्मस्थ हास्य रस कहते हैं।
परस्थ हास्य रस-
जब किसी व्यक्ति या विषय की विचित्र वेशभूषा, वाणी, आकृति तथा चेष्टा आदि को देखकर जब कोई हँसता है, तो उस हँसते हुए व्यक्ति को देखकर जो हास्य प्रकट होता है उसे परस्थ हास्य रस कहते है।
आचार्य केशवदास ने चार प्रकार के हास के प्रकार-
- मन्दहास,
- कलहास,
- अतिहास एवं
- परिहास
अन्य साहित्यशास्त्रियों के द्वारा छ: प्रकार का हास बताये है –
- स्मित
- हसित,
- विहसित
- उपहसित,
- अपहसित
- अतिहसित
हास्य रस के भाव –
- स्थाई भाव- hasya ka sthayi bhav–
हास (हास्य) - आलंबन विभाव
विकृत वेशभूषा, आकार, क्रियाएं, चेष्टाएँ आदि। - उद्दीपन विभाव
अनोखा पहनावा और आकार, बातचीत और क्रिया कलाप - अनुभाव
आश्रय की मुस्कान, आंखों का मिचमिचाना, ठहाकेदार हंसी, अट्ठहास आदि। - संचारी भाव
हंसी, उत्सुकता, चपलता, कंपन, आलस्य आदि।
hasya ras ka udaharan – हास्य रस के 10 उदाहरण
उदाहरण-
प्रेमियों की शक्ल कुछ कुछ भूत होनी चाहिए।
अक्ल आकी नाम में छः सूत होनी चाहिए ।
इश्क़ करने के लिए काफी कलेजा ही नही
आशिकों की चाँद (सिर) भी मजबूत होनी चाहिए।
उदाहरण-
- बिना जुर्म के पिटेगा, समझाया था तोय।
- पंगा लेकर पुलिस से, साबित बचा न कोय।।
उदाहरण-
बहुरिया सास का भय कइकै
बसि सी-सी-सी सिसियाय दिहिस।
आड़े मा धोती बदलि लिहिस
पानी धरती पै नाय दिहिस॥
उदाहरण-
बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय।
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।।
उदाहरण-
- सीस पर गंगा हँसे, भुजनि भुजंगा हँसैं।
- हास ही को दंगा भयो नंगा के विवाह में।।
उदाहरण-
ई जाड़े मा हारी मानेनि,
पानी ते पंडित सिव किसोर।
तन पर थ्वारै पानी चुपरयँ
मुलु मंत्र पढ़त हयँ जोर-जोर॥
उदाहरण-
- जेहि दिसि बैठे नारद फूली।
- सो दिसि तेहि न बिलोकी भूली।।
उदाहरण-
” बिहसि लखन बोले मृदु बानी, अहो मुनीषु महाभर यानी।
पुनी पुनी मोहि देखात कुहारू, चाहत उड़ावन फुंकी पहारु।
उदाहरण-
- हँसि-हँसि भाजैं देखि दूलह दिगम्बर को,
- पाहुनी जे आवै हिमाचल के उछाह में।
उदाहरण-
” बिहसि लखन बोले मृदु बानी, अहो मुनीषु महाभर यानी।
पुनी पुनी मोहि देखात कुहारू, चाहत उड़ावन फुंकी पहारु।
उदाहरण-
- पूर्ण सफलता के लिए, दो चीज़ें रखो याद,
- मंत्री की चमचागिरी, पुलिस का आशीर्वाद।
उदाहरण-
लखन कहा हसि हमरे जाना। सुनहु देव सब धनुष सनाना
का छति लाभु जून धनु तोरे। रेखा राम नयन के शोरे।।
उदाहरण-
- नाना वाहन नाना वेषा। विंहसे सिव समाज निज देखा॥
- कोउ मुखहीन, बिपुल मुख काहू बिन पद कर कोड बहु पदबाहू॥
उदाहरण-
यह भी पढ़े –
FAQ–
हास्य रस का मतलब क्या होता है?
जब किसी पदार्थ या व्यक्ति की असाधारण आकृति, वेशभूषा, चेष्टा आदि को देखकर हृदय में जो विनोद का भाव जाग्रत होता है, उसे हास्य रस कहा जाता है
हास्य रस कितने प्रकार के होते हैं?
हास्य के दो भेद किए हैं। एक है आत्मस्थ और दूसरा है परस्थ। हास्यपात्र की दृष्टि से आत्मस्थ हास्य है स्वत: उस पात्र का हँसना और परस्थ हास्य है दूसरों को हँसाना।
हास्य रस के अनुभव क्या है?
हास्य रस के अनुभाव – ठहाका, पेट हिलना, दाँत दिखना, पेट पकड़ना, मुँह लाल होना, चेहरा चमकना, आँखों में पानी आना आदि
हास्य रस का स्थायी भाव क्या है?
हास्य रस का स्थायी भाव हास है।
हास्य रस कितने प्रकार के होते हैं?
हास्य दो प्रकार का होता है -: आत्मस्थ और परस्त
हास्य रस के देवता कौन है?
हास्य रस के देवता प्रमथ है।
निकर्ष-
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