आज हम आपको Kavya Ki Paribhasha in Hindi, काव्य की परिभाषा, काव्य का अर्थ, काव्य के प्रकार, काव्य के उदाहरण, काव्य के जनक के बारे में आपको बताने वाले है.
Kavya Ki Paribhasha-
काव्य वह वाक्य की वो रचना है जिससे वाक्य में रस या मनोवेग से पूर्ण हो अर्थात् वाक्य में चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है तो वो छन्दबद्ध और रस सहित रचना काव्य कहलाती हैं।
काव्य एक पद्यात्मक एवं छन्द-बद्ध रचना होती है जिसमे भावनाओं की प्रधानता होती है जिसका उद्देश्य सौन्दर्य की अनुभूति द्वारा आनन्द सृजन करना है उसे काव्य कहते है.
काव्य की परिभाषा विद्वानों के द्वारा-
जयशंकर प्रसाद के अनुसार – काव्य आत्मा की संकल्पनात्कम अनुभूति है जिसका सम्बन्ध विश्लेषण विकल्प या विज्ञान से नहीं है वह एक श्रेयमयी प्रेय रचनात्मक ज्ञानधारा है ।
मम्मट के द्वारा काव्य की परिभाषा- “तद्रदोष शब्दर्शों गुणवाल कृति पुन क्वापि” अर्थात दोष रहित गुण सहित और कहीं अलंकार विहीन शब्दों को काव्य कहते हैं।
महादेवी वर्मा के द्वारा- काव्य कवि विशेष की भावनाओं का वर्णन है और वह चित्रण इतना ठीक है कि उससे वैसी ही भावनाएँ किसी दूसरे के हृदय में आविर्भूत होती हैं.
विश्वनाथ ने काव्य की परिभाषा- “रसात्मक वाक्यम काव्यम” अर्थात रसयुक्त वाक्य को ही काव्य कहा गया है।
सुमित्रानन्दन पन्त के अनुसार- कविता हमारे परिपूर्ण छणों की वाणी है.
पंडित जगन्नाथ के अनुसार – “रामरणीयार्थ प्रतिपादक शब्दक काव्यम” अर्थात रमणीय शब्दों का अर्थ बताने वाले शब्द काव्य होते हैं।
भमाह के अनुसार – “शब्दर्शों सहितों काव्यम” अर्थात शब्द और उसके अर्थ के मिश्रण को काव्य कहा गया है।
रुद्रट के द्वारा – “ननु शब्दर्शों काव्यम” अर्थात अर्थ के लघुसमन्वयन को काव्य कहा गया है।
काव्य के जनक कौन है –
काव्य के जनक प्रारंभ भरतमुनि को माना जाता है यह पर निश्चित नही किया गया है.
आचार्य मम्मट या मम्मटाचार्य ने “काव्यप्रकाश” में जिन प्राथमिक लेखकों का वर्णन किया हैं उनमें मयूरभट्ट, वामन, भामह, विश्वनाथ तथा कुंतक आदि आते हैं पर इन्हें भी काव्य का जनक नहीं बताया गया है।
काव्य के अंग-
काव्य के अंग तीन प्रकार के होते हैं-
काव्य के भेद –
रचना के आधार पर काव्य के दो भेद होते हैं –
- श्रव्य काव्य
- दृश्य काव्य
1 – श्रव्य काव्य –
जिस काव्य को पढ़ने या सुनने से आनन्द प्राप्त होता है। उसे श्रव्य काव्य कहते हैं।
श्रव्य काव्य के दो भेद है –
- प्रबंध काव्य
- मुक्तक काव्य
1 . प्रबंध काव्य –
वह काव्य रचना जो कथा सूत्रों तथा छन्दों की तारतम्यता में अच्छी तरह बंधी हो वह प्रबन्ध काव्य कहलाती है ।
प्रबन्ध काव्य के भेद –
- महाकाव्य ,
- खण्ड काव्य ,
- आख्यानक गीत
महाकाव्य-
महाकाव्य में किसी ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुष की संपूर्ण जीवन कथा का आद्योपांत वर्णन होता है। चंदबरदाई कृत “पृथ्वीराज रासो” को हिंदी का प्रथम महाकाव्य कहा जाता है।
खण्डकाव्य-
खण्डकाव्य में नायक के जीवन के व्यापक चित्रण के स्थान पर उसके किसी एक पक्ष, अंश अथवा रूप का चित्रण होता है। लेकिन महाकाव्य का संक्षिप्त रूप अथवा एक सर्ग, खण्डकाव्य नहीं होता है। खण्डकाव्य में अपनी पूर्णता होती है। पूरे खण्डकाव्य में एक ही छन्द का प्रयोग होता है।
‘पंचवटी’, ‘जयद्रथ-वध’, ‘नहुष’, ‘सुदामा-चरित’, ‘पथिक’, ‘गंगावतरण’, ‘हल्दीघाटी’, ‘जय हनुमान’ आदि हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध खण्डकाव्य हैं।
आख्यानक गीतियाँ-
ऐसी पदबद्ध रचना जिसमें एक लघु कथा वर्णित होती है तथा जिनके छंदो में गेयता होती है उसे आख्यानक गीत कहते हैं।
- तुलसीदास – हनुमान चालीसा
- सुभद्राकुमारी चौहान – झाँसी की रानी
- मैथिलीशरण गुप्त – रंग में भंग
- मीराबाई – नरसी जी का माहेरो
(2) मुक्तक काव्य-
मुक्तक काव्य मे एक अनुभूति, एक भाव और एक ही कल्पना का चित्रण होता है। मुक्तक काव्य कि भाषा सरल व स्पष्ट होती हैं। मुक्तक काव्य मे प्रत्येक छन्द स्वयं मे पूर्ण होता है तथा पूर्वापर सम्बन्ध से मुक्त होता है उसे ही मुक्तक काव्य कहते है.
जैसे–
- बिहारी सतसई के दोहे,
- कबीर की साखी
मुक्तक काव्य के भी दो भेद हैं–
- पाठ्य मुक्तक
- गेय मुक्तक
पाठ्य मुक्तक-
पाठ्य मुक्तक मे विषय की प्रधानता होती है, प्रसंगानुसार भावानुभूति व कल्पना का चित्रण होता है तथा किसी विचार या रीति का भी चित्रिण होता है।
गेय मुक्तक-
इसे गीति या प्रगीति काव्य भी कहते है। इसमें 1. भाव प्रवणता 2. सौन्दर्य बोध 3. अभिव्यक्ति की संक्षिप्तता 4. लयात्मकता की प्रधानता होती है।
काव्य के उदाहरण-
- काव्यमीमांसा से काव्य के एक अंश का उदाहरण-
स्वास्थ्यं प्रतिभाभ्यासो भक्तिर्विद्वत्कथा बहुश्रुतता।
स्मृतिदाढर्यमनिर्वेदश्च मातरोऽष्टौ कवित्वस्य॥
- प्रबंध काव्य का उदाहरण- रामचरित मानस।
- श्रव्य काव्य के उदाहरण- रामायण और महाभारत।
- खंडकाव्य के उदाहरण- पंचवटी, सुदामा चरित्र, हल्दीघाटी, पथिक, मेघदूतम, ऋतु संहार आदि खंडकाव्य हैं।
- महाकाव्य के उदाहरण- पद्मावत, रामचरितमानस, कामायनी, साकेत आदि महाकव्य हैं।
- चंपू काव्य के उदाहरण- साहित्य देवता (माखनलाल चतुर्वेदी), विश्वधर्म (श्री वियोगी हरि), “साधना” और “प्रवाल” (श्री राय कृष्ण दास)।
- मुक्तक काव्य के उदाहरण- विभिन्न कवियों के दोहे। जैसे- रहीम, सूरदास, कबीर के दोहे।
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निकर्ष-
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