आज हम आपको Matgayand Savaiya Chhand Ki Paribhasha In Hindi, मत्तगयंद सवैया की परिभाषा, Matgayand Savaiya Chhand Ka Udaharan, मत्तगयंद सवैया किसे कहते है के बारे में आपको बताने वाले है.
अब हम आपको Matgayand Savaiya Chhand Definition In hindi, मत्तगयंद सवैया क्या होता है, Matgayand Savaiya Chhand Ke Examples In Hindi में अक्पो नीचे बताने वाले है.
Matgayand Savaiya Chhand Ki Paribhasha-
मत्तगयंद सवैया छंद में 23 वर्ण होते है और प्रत्येक चरण का एक सम वर्ण होता है और जो सभी सवैया छंदों के अनुसार इसमें भी चार चरण में होते है और सभी चारों चरण एक ही तुकांतता के होने आवश्यक हैं मत्तगयन्द सवैया 23 वर्णों का छन्द है, जिसमें सात और दो गुरुओं का योग होता है मत्तगयंद सवैया छंद कहलाता है.
यह सवैया भगण (ऽ।।) से मिलकर बनता है, जिसकी 7 भगण (ऽ।।) आवृत्ति होती है और अंत में दो गुरु वर्ण प्रति चरण में होते हैं उसे मत्तगयंद सवैया छंद कहते है.
मत्तगयंद सवैया छंद के लिए नरोत्तमदास, तुलसी, केशव, भूषण, मतिराम, घनानन्द, भारतेन्दु, हितैषी, सनेही, अनूप आदि इस छंद के मुख्य कवि है.
जैसे –
2 1 1 2 1 1 2 1 1 2 1 1 2 1 1 2 1 1 2 1 1 2 2
पाप बढ़े चहुँ ओर भयानक हाथ कृपाण त्रिशूलहु धारो।
रक्त पिपासु लगे बढ़ने दुखके महिषासुर को अब टारो।
ताण्डव से अरि रुण्डन मुण्डन को बरसा कर के रिपु मारो।
नाहर पे चढ़ भेष कराल बना कर ताप सभी तुम हारो।।
मत्तगयंद सवैया छंद के 10 उदाहरण- Matgayand Savaiya Chhand Ka Udaharan
उदाहरण-1
राम के काम करे जग में बजरंग बली तँय नाम धराए ,
लाल धरे हस रूप सदा धर हाथ गदा हनुमंत कहाए,
दूत बने हस राम सिया सुन खोजत रावण धाम जलाए ,
राम सिया गुन गावत गावत लक्ष्मण के तँय जान बचाए ।
उदाहरण-2
गणिका, गज, गीध, अजामिल को कैसे तारा हमको भी तारो ।
हौं भवकूप पड़्यौं मै पापी दीना नाथ जो चाहो उबारो ।
तुम बिन कोई हे रघुनन्दन् हम दीनन को नाहि सहारो ।।
रज्जन नाव पड़ी मझधार हे खेवन हार तुम पार उतारो ।।
उदाहरण-3
नेत्र विशाल हँसी अति मोहक तेज सुशोभित आनन भारी।
क्रोधित रूप प्रचण्ड महा अरि के हिय को दहलावन कारी।
हिंसक शोणित बीज उगे अरु पाप बढ़े सब ओर विकारी।
शोणित पी रिपु नाश करो पत भक्तन की रख लो महतारी।।
उदाहरण-4
हे गणनायक मोर गजानन हावस तैं सुन भाग विधाता ।
सेवक मैं अउ मालिक तैं अस भावत हावय सुग्घर नाता ।
चार भुजा मन मोहत हावय दुःख हरे सुख देथस दाता ।
शंकर हावय तोर ददा अउ पारवती सुन हावय माता ।
उदाहरण-5
महक उठीं गलियां बृज की अरु लहक उठीं के कुन्ज लताएं ।
चहक उठीं कोयल प्यारी बन बांसुरी लै यदुनाथ हैं आए ।।
जमुना भी उमड़ाय पड़ी अरु दहक उठीं सब बृज बालाएं ।
मधुबन से मधुरध्वनि सुन मदमस्त भई सब मधुशालाएं ।।
रज्जन गाइ सुनाइ रहें हरि नाम को छांँड़ि कितै हम जाएं ।।
उदाहरण-6
शुम्भ निशुम्भ हने तुमने धरणी दुख दूर सभी तुम कीन्हा।
त्राहि मची चहुँ ओर धरा पर रूप भयावह माँ तुम लीन्हा।
अष्ट भुजा अरु आयुध भीषण से रिपु नाशन माँ कर दीन्हा।
गावत वेद पुराण सभी यश जो वर माँगत देवत तीन्हा।।
उदाहरण-7
मात पिता अपमान करे हस खोजत मान कहाँ अब पाबे ।
मान मिले जग में जब सोचत मात पिता झन तैं बिसराबे ।
कोंख जने उँगली धर रेंगत छोड़ के साथ कहाँ अब जाबे ।
छाँव करे ममता अँचरा जब दुःख भगा सुख भोर नहाबे ।
उदाहरण-8
निशि वासर हरि के चरण महंँ दृग मोतियन को हार चढ़ैहौं ।
जाइ कै बृज गोपियन संँग कुंजन सावरों संँग मैं रास रचैहौं ||
राधे कृष्ण श्री राधेकृष्ण जय राधे कृष्ण को ध्यान लगइहौं ।
बृजरज माथे पे रखि के मैं रज्जन शाम नाम गुन गइहौं ।।
उदाहरण-9
पाकर के सुन मानुस के तन काबर तैं अति सोचत लाला ।
नाम कमा सुन रे मन मूरख काबर काम करे अति काला ।
राम जपे नइ तैं हर काबर डार रखे हस रे मुँह ताला ।
जावत तोर हिसाब करे यम देखत दौड़त मारत भाला ।
उदाहरण-10
तुम बिन कौन सहाय करै अब तुम बिन कौन विपतिया टारै ।
हे बृजराज या घोर विपत मा ‘रज्जन’ तुम्हरी ओर निहारै ॥
विधि को लेख टरै नहि काहु सो जो प्रभु डारै सोइ उबारै ।
रघुपति हाथ कतन्नी बाँवरे पल मॅंह उलट-फेर करि डारै ॥
उदाहरण-11
जंगल मा अब मंगल खोजत देख नहीं अब पावस भारी ।
रूख कटे ठुठवा सब होवत काबर जोर चलावत आरी ।
जंगल मा चिमनी बइठे बर आवत कागज हे सरकारी ।
थोकुन सोचव रूख लगालव मेंड़ तरी बखरी अउ बारी ।
उदाहरण-12
नाम अनेक धरे जग तारण रूप अनंत धरे बनवारी ।
मोहन माधव केशव निर्गुण हे मुरली धर हे त्रिपुरारी ।
हे अचला अजया अनया बलि कृष्ण दयानिधि पुण्य मुरारी ।
श्याम सुदर्शन विष्णु निरंजन हे मधुसूदन हे सुख कारी ।।
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निकर्ष-
जैसा की आज हमने आपको Matgayand Savaiya Chhand Ki Paribhasha, मत्तगयंद सवैया छंद के 10 उदाहरण, Matgayand Savaiya Chhand Ka Udaharan के बारे में आपको बताया है.
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