Punrukti Alankar Ki Paribhasha, पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार की परिभाषा

आज हम जानेगे की Punrukti Alankar Ki Paribhasha, पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार किसे कहते हैआपको हम इसमें बताने वाले है.

आज हम यंहा पर आपको पुनरुक्ति अलंकार का अर्थ, पुनरुक्ति अलंकार क्या है | definition of punrukti alankar in hindi के बारे में बताने वाले है जो यह पढने के बाद आपको Punrukti Alankar ke udaharan से जुडी जानकारी समझ जायेंगे.

Punrukti Alankar Ki Paribhasha-

पुनरुक्ति दो शब्दों के योग से बना है पुन्र+उक्ति – पुनरुक्ति अलंकार का साधारण सा अर्थ है जहां बार-बार शब्दों की आवृत्ति हो।
जिस काव्य में क्रमशः शब्दों की आवृत्ति एक समान होती है, किंतु अर्थ की भिन्नता नहीं होती उसे पुरुक्ति अलंकार कहते है.

पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित

punrukti prakash alankar ke udaharan –

उदाहरण-

  • सुबह-सुबह बच्चे काम पर जा रहे हैं।

ऊपर दिए गये उदाहरण में सुबह शब्द का अर्थ एक ही है जबकि यहां दो बार प्रयुक्त हुआ है। यह काव्य की सुंदरता आदि को बढ़ाने के लिए प्रयोग हुआ है जिससे अर्थ में भिन्नता नहीं हो रही है। अतः यह पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार माना जाएगा।

  • हवा दूर-दूर तक जाती है और शीतलता प्रदान करती है।

ऊपर दिए गये उदाहरण में दूर शब्द का प्रयोग हुआ है जबकि अर्थ की भिन्नता नहीं है।
आम से मीठा-मीठा रस टपकता है यहां भी मीठा शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है किंतु अर्थ एक ही है।

  • मधुर वचन कहि-कहि परितोषीं।

उपर्युक्त उदाहरण में बताया गया है की कहि शब्द का एक से अधिक बार प्रयोग किया गया है। जिसके कारण काव्य में सुंदरी की वृद्धि हुई है जिससे यहां पुनरुक्ति अलंकार माना जाएगा।

  • खड़-खड़ करता करताल बजाता

उपर्युक्त उदाहरण में बताया गया है की खड़-खड़ शब्द की आवृत्ति एक से अधिक बार हुई है किंतु अर्थ में कोई भी नेता नहीं होने के कारण पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार के 10 उदाहरण-

अन्य उदाहरण-

  • लिखन बैठि जाकी सबी , गहि-गहि गरब गरूर।
  • जीवन की दौड़ में तू दौड़, जीवन की दौड़ में हम दौड़।
  • आदरु दै-दै बोलियत, बयासु बलि की बेर
  • वो आयी, वो चली गई, वो हमेशा याद रहेगी।
  • झूम झूम मृदु गरज गरज घनघोर।
  • डाल-डाल अली-पिक के गायन का समां बंधा।
  • सूरज है जग का बुझा-बुझा
  • अंधेरे में दिखा एक रोशनी, अंधेरे में दिखा उम्मीद।
  • मैं रोता हूँ, तुम रोते हो, हम सब रोते हैं।
  • खड़-खड़ करताल बजा।
  • जी में उठती रह-रह हूक।
  • कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय
  • खा-खाकर कुछ पायेगा नहीं।
  • मीठा-मीठा रस टपकता।
  • तुम आओगे, तुम बनोगे, तुम जीतोगे।
  • ठुमुकि-ठुमुकि रुनझुन धुनि-सुनि,
    कनक अजिर शिशु डोलत।
  • थल-थल में बसता है शिव ही।
Punrukti Alankar Ki Paribhasha
Punrukti Alankar Ki Paribhasha

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निकर्ष-

जैसा की आज हमने आपको Punrukti Alankar Ki Paribhasha, पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित जानकारी के बारे में आपको बताया है.

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