Raudra Ras Ki Paribhasha, रौद्र रस की परिभाषा उदाहरण सहित

आज हम जानेगे की Raudra Ras Ki Paribhasha in hindi, रौद्र रस की परिभाषा उदाहरण सहित हिंदी में, Raudra Ras Ka Udaharan के बारे में आपको बताने वाले है.

आज हम रौद्र रस किसे कहते है, रौद्र रस क्या है, रौद्र रस का अर्थ, definition of raudra ras in hindi करके समझाया गया है जो की आपको परीक्षा में चार चाँद लगायेंगे.

raudra ras ki paribhasha-

जब किसी काव्य को सुनने पर जब क्रोध के साथ, आंखे तिलमिलाना, शरीर का फडफडाना, गर्जना का भाव की अनुभूति होती है तो इस अनुभूति को ही रौद्र रस कहते हैं।

या फिर शत्रु या दुष्ट अत्याचारी द्वारा किये गये अत्याचारों को देखकर अथवा गुरुजनों की निन्दा सुनकर चित्तमय एक प्रकार का क्रोध उत्पन्न करता है जिसे रौद्र रस कहते है |

Raudra Ras Ki Paribhasha, रौद्र रस की परिभाषा उदाहरण सहित
Raudra Ras Ki Paribhasha, रौद्र रस की परिभाषा उदाहरण सहित

रौद्र रस के भाव-

स्थाई भावक्रोध
आलंबन (विभाव)विपक्षी, अनुचित बात कहने वाला व्यक्ति, अपराधी व्यक्ति, शत्रु, दुराचारी, लोक पीड़ा, अत्याचारी, अन्यायी, आदि।
उद्दीपन (विभाव)विपक्षियों के कार्य तथा उक्तियाँ, अनिष्ट कार्य, निंदा, कठोर वचन, अपमानजनक वाक्य, आदि।
अनुभावआँख लाल होना, होंठों का फड़फड़ाना, शत्रुओं को ललकारना, अस्त्र-शस्त्र चलाना, मुख लाल होना, दांत पीसना, आत्म-प्रशंसा, भौहें चढ़ाना, कम्प, प्रस्वेद, गर्जन, आदि।
संचारी भावमोह, उग्रता, आशा, हर्ष, स्मृति, भावेग, चपलता, मति, उत्सुकता, अमर्ष, आदि।

रौद्र रस का उदाहरण- Raudra Ras Ka Udaharan

उदाहरण-

माखे लघन, कुटिल भयी भौंहें ।
रद-पट फरकत नैन रिसौहैं ॥
कहि न सकत रघुवीर डर, लगे वचन जनु बान
नाइ राम-पद-कमल-जुग, बोले गिरा प्रसाद ॥

ऊपर दिए उदाहरण में रौद्र स्थायी का भाव-क्रोध और आश्रय-लक्ष्मण इसके साथआलम्बन जनक के वचन जो की उद्दीपन-जनक के वचनों की कठोरता इसमें अनुभाव-भौंहें टेढ़ी होना, ओठ फड़कना,नेत्रों का रिसौंहे होना और अब संचारी भाव-अमर्ष, उग्रता आदितो इसीलिए यहाँ पर रौद्र रस है।

उदाहरण-

सुनत लखन के बचन कठोर। परसु सुधरि धरेउ कर घोरा

अब जनि देर दोसु मोहि लोगू। कटुबादी बालक बध जोगू। ।

ऊपर दिए उदाहरण में सीता स्वयंवर का है जिसमें लक्ष्मण के द्वारा मुनि परशुराम को भड़काने क्रोध दिलाने का प्रसंग है। लक्ष्मण परशुराम के क्रोध को इतना बढ़ा देते हैं कि वह बालक लक्ष्मण का वध करने को आतुर होते हैं और उनकी भुजाएं फड़फड़ाने लगती है इसे देखकर वहां दरबार में उपस्थित सभी राजा-राजकुमार थर-थर कांपने लगते हैं। इसलिए यंहा पर रौद्र रस है.

उदाहरण-

श्रीकृष्ण के सुन वचन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे

सब शील अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे

संसार देखें अब हमारे, शत्रु रण में मृत पड़े

करते हुए यह घोषणा वे हो गए उठ खड़े। ।

ऊपर दिए उदाहरण की पंक्ति में कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश के उपरांत अर्जुन क्रोध से जलने लगते हैं सब कुछ नाश करने को आतुर होते हैं, अपराधियों को उसका दंड देना, धर्म और नीति का कार्य मांनते हैं। जिसके लिए वह अपने सगे संबंधियों को भी रणभूमि में दंड देने की घोषणा करते हुए उठ खड़े होते हैं।

उदाहरण-

भारत का भूगोल तड़पता, तड़प रहा इतिहास है।

तिनका – तिनका तड़प रहा है, तड़प रही हर सांस है।

सिसक रही है सरहद सारी, मां के छाले कहते हैं।

ढूंढ रहा हूं किन गलियों में, अर्जुन के सूत रहते हैं। ।

ऊपर जो उदाहरण दिया गया है उसमे एक व्यक्ति क्रोध के वशीभूत उन कारकों की खोज कर रहा है जिसके कारण उसकी मां समान मातृभूमि प्रताड़ित है अपनी मां समान मातृभूमि की रक्षा के लिए अर्जुन जैसे वीरों की खोज की जा रही है जो मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने का सामर्थ्य रखते हैं। इसीलिए यंहा पर रौद्र रस है.

उदाहरण-

रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि न संभार

धनुही सम त्रिपुरारी द्युत बिदित सकल संसार। ।

उपर्युक्त उदाहरण में यह संवाद तब का है जब सीता स्वयंवर में जब परशुराम-लक्ष्मण संवाद होता है। लक्ष्मण, परशुराम के क्रोध को बढ़ावा देते हैं, उनके क्षत्रिय धर्म और बाहुबल को ललकारते हैं। वह शिवनाथ, शिव शंकर का है और तुम मेरे क्रोध से आज नहीं बचने वाला नहीं। ऐसा कहते हुए परशुराम के क्रोध की अभिव्यंजना यहां हुई है इसिलए यंहा पर रौद्र रस माना गया है.

रौद्र रस के 10 उदाहरण

उदाहरण

खून उसका उबल रहा था।
मनुष्य से वह दैत्य में बदल रहा था।।

उदाहरण

उस काल मरे क्रोध के तन काँपने उसका लगा
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा

उदाहरण

Raudra Ras Ki Paribhasha, रौद्र रस की परिभाषा उदाहरण सहित

उदाहरण

फिर दुष्ट दुःशासन समर में शीघ्र सम्मुख आ गया।
अभिमन्यु उसको देखते ही क्रोध से जलने लगा।
निश्वास बारम्बार उसका उष्णतर चलने लगा।

उदाहरण

सुनहूँ राम जेहि शिवधनु तोरा सहसबाहु सम सो रिपु मोरा
सो बिलगाउ बिहाइ समाजा न त मारे जइहें सब राजा

उदाहरण

अतिरस बोले बचन कठोर।
बेगि देखाउ मूढ़ नत आजू।
उलटउँ महि जहाँ लग तवराजू।।

उदाहरण

जब तैं कुमति जियं ठयऊ। खंड-खंड होइ हृदउ न गयऊ।।
बर मागत मन भइ नहिं पीरा। गरि न जीह मुँह परेउ न कीरा।।

उदाहरण

  • जो राउर अनुशासन पाऊँ।
  • कन्दुक इव ब्रह्माण्ड उठाऊँ।
  • काँचे घट जिमि डारिऊँ फोरी|
  • सकौं मेरु मूले इव तोरी।।

उदाहरण

उबल उठा शोणित अंगो का, पुतली में उत्तरी लाली।
काली बनी स्वय वह बाला, अलक अलक विषधर काली।।

उदाहरण

रौद्र रस की परिभाषा उदाहरण सहित

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FAQ-

रौद्र रस किसे कहते हैं?

रौद्र रस उसे कहते है जंहा शत्रु या दुष्ट अत्याचारी द्वारा किये गये अत्याचारों को देखकर अथवा गुरुजनों की निन्दा सुनकर चित्तमय एक प्रकार का क्रोध उत्पन्न करता है जिसे रौद्र रस कहते है |

रौद्र रस के देवता कौन है?

रौद्र रस के वर्ण रक्त एवं देवता रुद्र है और रौद्र रस का ‘स्थायी भाव’ अथवा ‘क्रोध’ का भाव होता है.

रौद्र रस का स्थायी भाव क्या है?

रौद्र रस का ‘स्थायी भाव’ अथवा ‘क्रोध’ का भाव होता है.

क्या रुद्र और रौद्र एक ही है?

रौद्र अर्थ है ‘जंगली’, यानी, असभ्य (अदम्य) प्रकृति का, और रुद्र नाम का अनुवाद ‘जंगली’ या ‘भयंकर देवता’ के रूप में किया गया है।

रौद्र रस का दूसरा नाम क्या है?

रौद्र रस का दूसरा नाम क्रोध रस होता है.

निकर्ष-

जैसा की आज हमने आपको raudra ras ki paribhasha, रौद्र रस की परिभाषा, raudra ras ka udaharan, रौद्र रस के भाव सहित के बारे में आपको बताया है.

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