आज हम जानेंगे की Samaveshi Shiksha Ki Paribhasha | समावेशी शिक्षा का परिभाषा | समावेशी शिक्षा का अर्थ | Samaveshi Shiksha In Hindi | के बारे में बताने वाले है.
आज हम जानेंगे की Samaveshi Shiksha Kya Hai | समावेशी शिक्षा किसे कहते है | Definition Of Samaveshi Shiksha In Hindi के बारे में बताने वाले है.
Samaveshi Shiksha Ki Paribhasha-
समावेशी शिक्षा वह है जिसमें सामान्य बच्चे तथा शारीरिक एवं मानसिक विकलांगता वाले बच्चे एक साथ बैठकर एक ही विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करते हैं।
अर्थात जिसके माध्यम से विशेष योग्यता वाले बच्चों जैसे मंदबुद्धि बच्चे, अंधे बच्चे, बहरे बच्चे और प्रतिभाशाली बच्चों को ज्ञान प्रदान किया जाता है इसे समावेशी शिक्षा कहते है.
समावेशी शिक्षा का परिभाषा विद्वानों द्वारा-
यरशेल ने कहा है :-“समावेशी शिक्षा के कुछ कारण योग्यता लिंग, प्रजाति, जाति, भाषा, चिंता का स्तर, सामाजिक और आर्थिक स्तर विकलांगता व्यवहार या धर्म से संबंधित होते हैं।
स्टेनबैक तथा स्टेनबैक के अनुसार, “समावेशी विद्यालय से तात्पर्य ऐसे स्थान से है जहाँ प्रत्येक बालक को उसके साथियों तथा विद्यालय समुदाय के अन्य सदस्यों द्वारा स्वीकार किया जाता है व सहारा दिया जाता है जिससे कि वह अपनी शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके।”
शिक्षा शास्त्रियों ने बताया है :-” समावेशी शिक्षा अधिगम के ही नहीं बल्कि विशिष्ट अधिगम के नए आयाम खुलती है।”
स्टीफन एवं ब्लैकहर्ट के द्वारा :-“शिक्षा के मुख्य धारा का अर्थ बालकों की सामान्य कक्षाओं में शिक्षण व्यवस्था करना है या समान अवसर मनोवैज्ञानिक सोच पर आधारित है जो व्यक्तिगत योजना के द्वारा उपयुक्त सामाजिक मानवीकरण और अधिगम को बढ़ावा देती है।”
माइकल एफ. फिनग्रेस के द्वारा , “समावेशी शिक्षा मूल्यों, सिद्धान्तों तथा अभ्यासों का एक समूह है जो सभी बालकों के लिए, चाहे वह विशिष्टता रखते हों या नहीं रखते हों, प्रभावशाली तथा अर्थपूर्ण शिक्षा की खोज करता है।
अन्य शिक्षा शास्त्रियों के द्वारा : –“समावेशी शिक्षा वह शिक्षा होती हैं जिसमें सामान्य बालक बालिकाएं तथा विशिष्ट बालक बालिकाएं एक ही विद्यालय में बिना किसी भेदभाव के एक साथ शिक्षा ग्रहण करते हैं।”
समावेशी शिक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ी –
- सामान्य एवं दिव्यांग बच्चों के बीच एक प्राकृतिक वातावरण का निर्माण होता है। एकीकरण की भावना विकसित होती है।
- समानता का सिद्धांत मजबूत हुआ है. सामाजिक गुणों का विकास होता है।
- यह शिक्षा उन्नति में सहायक होती है।
- अनुकूलन, भाईचारा, सम्मान और दया आदि गुणों का विकास होता है।
- एक सामान्य बच्चे के साथ जुड़ने से एक विकलांग बच्चे को किसी न किसी तरह से लाभ होता है।
- “व्यक्तिगत मतभेदों के परिणामस्वरूप, समावेशी शिक्षा अधिक लाभदायक है। सामान्य, विकलांग और स्वस्थ सभी को समावेशी शिक्षा से लाभ होता है।
- बच्चों को समस्याग्रस्त बच्चे बनने से रोकने के लिए समावेशी शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।
समावेशी शिक्षा की विशेषताएँ-
- समावेशी शिक्षा के ढांचे के भीतर, सामान्य और विशेष दोनों प्रकार के बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं। इस शिक्षा में विशेष या विकलांग बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
- इस संबंध में दिव्यांग बच्चों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उनके विकास के लिए विशेष प्रयास किये जाते हैं।
- इस शिक्षा के अंतर्गत संज्ञानात्मक, रचनात्मक और भावनात्मक विकास के अवसर प्रदान किये जाते हैं।
- इस शिक्षा के अंतर्गत सामान्य एवं विशेष दोनों प्रकार के बच्चों के लिए प्राकृतिक वातावरण का निर्माण किया जाता है।
- दोनों प्रकार के बच्चों को शिक्षित करने की लागत आम बजट में फिट बैठती है।
- इस प्रकार की शिक्षा में, दृष्टिबाधित बच्चों के लिए ब्रेल लेखन का उपयोग किया जाता है।
- यह शिक्षा संयुक्त राज्य अमेरिका में मुख्यधारा के आंदोलन से प्रेरित है। इस शिक्षा के अंतर्गत छात्रों की आवश्यकता के अनुसार प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है।
- इस प्रकार की शिक्षा के माध्यम से विशेष बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
समावेशी शिक्षा का कार्यक्षेत्र –
(1) विभिन्न प्रकार से अपंग बालक (श्रवणबाधित, दृष्टिबाधित, अस्थि अपंग आदि) इन्हें बहुबाधित भी कहते हैं।
(2) दृष्टिहीन छात्र जिन्होंने ‘ब्रेल में’ पढ़ने और लिखने का शिक्षण प्राप्त कर लिया है तथा उन्हें विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
(3) दृष्टिबाधित अथवा एक आँख वाले बालक।
(4) श्रवणबाधित बालक।
(5) अधिगम असमर्थी बालक।
(7) अस्थिबाधित बालक।
(8) बधिर बालक जिन्होंने सम्प्रेषण में निपुणता तथा पढ़ना सीख लिया है
(9) मानसिक मन्दित बालक जो शिक्षा के योग्य हैं।
समावेशी शिक्षा का महत्व-
- समावेशी शिक्षा के माध्यम से बच्चों में एकता या समानता का विकास होता है।
- जैसा कि ऊपर बताया गया है, इसमें सामान्य और विशेष दोनों बच्चे एक साथ पढ़ते हैं, इसलिए शिक्षा भी कम खर्चीली है।
- जब सभी बच्चे एक साथ शिक्षित होंगे तो प्राकृतिक पर्यावरण का विकास होना निश्चित है।
- शैक्षिक अनुकूलन समस्याओं को दूर करने के लिए यह महत्वपूर्ण है।
- समावेशी शिक्षा के माध्यम से बच्चों का मानसिक विकास, नैतिक विकास, सामाजिक विकास और उनमें आत्म-सम्मान की भावना का पर्याप्त विकास होता है।
यह भी पढ़े –
शिक्षा की परिभाषा | नैतिक शिक्षा का परिभाषा |
प्राथमिक शिक्षा की परिभाषा | बुनियादी शिक्षा की परिभाषा |
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निकर्ष-
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