आज हम जानेगे की Samiti Ki Paribhasha | समिति की परिभाषा क्या है और इसी प्रकार की परिभाषा देखने के लिए आप हमारे ब्लॉग फॉलो कर ले.
samiti ki paribhasha-
समिति कुछ आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यक्तियों द्वारा निर्मित की जाती है। समिति व्यक्तियों के द्वारा अपने समान उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए विचारपूर्वक निर्मित एक ऐसा संगठन का नाम है.
जिसकी सदस्यता ऐच्छाक होती हैं अतएव समिति आवश्यकताओं की पूर्ति करने का एक महत्वपूर्ण साधन हैं.
जैसे – परिवार, स्कूल, व्यापार संघ, धार्मिक संघ, राजनीतिक दल, राज्य आदि समितियाँ हैं।
समिति की परिभाषा विद्वानों द्वारा –
अर्तार्थ- समिति व्यक्तियों का ऐसा समूह है जिसमें सहयोग एवं संगठन पाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य एक लक्ष्य की पूर्ति है। समिति के सदस्य कुछ नियमों के तहत सामूहिक प्रयासों से अपने विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं।
बोगार्डस ने “समिति प्राय: किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए लोगों का मिल-जुलकर कार्य करना है। “
जिन्सबर्ग ने “समिति आपस में संबंधित सामाजिक प्राणियों का एक समूह है, जो एक निश्चित लक्ष्य या लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एक सामान्य संगठन का निर्माण करते हैं।”
गिलिन ने “समिति व्यक्तियों का एक समूह है, जो किसी विशेष हित या हितों के लिए संगठित है और मान्यता प्राप्त या स्वीकृत विधियों और व्यवहार द्वारा कार्य करता है।”
मैकाइवर एवं पेज ने “सामान्य हित या हितों की प्राप्ति के लिए दूसरों के सहयोग के साथ सोच-समझकर संगठित किए गए समूह को एक समिति कहा जाता है। “
samiti ke prakar-
समिति के दो भागो में भेद बने हुए जो की इस प्रकार है –
अनौपचारिक समितियाँ :-
ऐसी समितियों के सदस्य व्यवहार के अपने नियम और मानदंड भी विकसित करते हैं जो आपसी सहमति का परिणाम होते हैं। ये नियम या आचरण के मानदंड, चाहे लिखित या औपचारिक न हों, सदस्यों के बीच उच्च स्तर की प्रतिबद्धता है।
औपचारिक समितियाँ :-
औपचारिक समिति का आदर्श रूप है जो दो या दो से अधिक व्यक्तियों को किसी विशिष्ट हित या अभिरुचि की प्राप्ति के लिए एक औपचारिक और स्पष्ट पद्धति के अनुसार संगठित किया जाता है, तो इसे एक औपचारिक समिति कहा जाता है।
समिति के अनिवार्य तत्त्व-
समिति की प्रमुख विशेषताएँ-
मानव समूह- संगठन होने का आधार उद्देश्य या उद्देश्यों की समानता है। समिति का निर्माण दो या दो से अधिक व्यक्तियों के समूह से होता है जिसका एक संगठन होता है।
निश्चित उद्देश्य- यदि निश्चित उद्देश्य न हों तो व्यक्ति उनकी पूर्ति के लिए तत्पर न होंगे और न ही समिति का जन्म होगा। समिति के जन्म के लिए निश्चित उद्देश्यों का होना आवश्यक है।
आपसी सहयोग –
समिति अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक प्रणाली बनाती है। सदस्यों के समान उद्देश्य होने के कारण उनमें सहयोग पाया जाता है। उद्देश्य की प्राप्ति और प्रबंधन के लिए सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है।
अस्थायी प्रकृति –
जब उद्देश्य प्राप्त हो जाते हैं, तो वह समिति समाप्त हो जाती है। समिति का गठन विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है।
उदाहरण के लिए, गणेशोत्सव के लिए गठित समिति गणेशोत्सव समाप्त होने के बाद भंग हो जाती है।
समाज और समिति में अन्तर-
समाज व्यक्तियों के मध्य विद्यमान सामाजिक सम्बन्धों का जाल है। | समिति सामान्य लक्ष्यों की पूर्ति हेतु निर्मित व्यक्तियों का एक समूह है। |
सामाजिक सम्बन्धों का जाल होने के कारण समाज एक अमूर्त अवधारणा है। | व्यक्तियों का समूह होने के कारण समिति एक मूर्त अवधारणा है। |
समाज की प्रकृति अधिकांशत: स्थायी होती है। | समिति पूर्णत: अस्थायी होती है। |
समाज में समानता तथा भिन्नता दोनों ही पाई जाती हैं। | समिति में केवल समानता ही पाई जाती है। |
समाज में संगठन व विघटन दोनों ही पाए जाते हैं। | समिति में पूर्णत: संगठन पाया जाता है। |
समाज का विकास स्वत: होता है। | समिति का निर्माण विचारपूर्वक किया जाता है। |
समाज की सदस्यता ऐच्छिक न होकर अनिवार्य है। | समिति की सदस्यता अनिवार्य न होकर ऐच्छिक होती है। |
समाज में सहयोग व संघर्ष का मिश्रित प्रवाह होता है। | समिति का आधार सहयोग है। अतएव समिति में पूर्ण सहयोग पाया जाता है। |
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निकर्ष-
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