Samprabhuta Ki Paribhasha, संप्रभुता की परिभाषा,

आज हम जानेगे की Samprabhuta Ki Paribhasha, संप्रभुता की परिभाषा, संप्रभुता किसे कहते है से जुडी हुयी जानकारी हिंदी में बताने वाले है.

अब हम आपको samprbhuta kya hai, संप्रभुता का अर्थ एवं परिभाषा | संप्रभुता क्या है | Samprabhuta definition in hindi के बारे में बताने वाले है-

samprabhuta ki paribhasha –

संप्रभुता के पास अपने कानूनों को आदेश देने और लागू करने की वास्तविक और वैध शक्ति है संप्रभुता की शक्ति विशिष्ट और अविभाज्य है यह अपने आप में एक इकाई है जिसे दो या दो से अधिक लोगों में विभाजित नहीं किया जा सकता उसे संप्रभुता कहते है.

  • संप्रभुता राज्य का आवश्यक तत्व है, संप्रभुता का दूसरा नाम सर्वोच्य शक्ति है
  • संप्रभुता राज्य के चार भवन खंडों में से एक है।
  • संप्रभुता राज्य की सर्वोच्च इच्छा शक्ति का दूसरा नाम है।
  • राज्य के सभी व्यक्ति और संस्थाएं संप्रभुता के अधीन है।
  • संप्रभुता बाहरी तथा आंतरिक दोनों दृष्टि से सर्वोपरारि होति है।
samprabhuta ki paribhasha, संप्रभुता की परिभाषा

संप्रभुता की परिभाषा विद्वानों के द्वारा-

सोल्टाऊ ने ” राज्य द्वारा शासन करने की सर्वोच्च कानूनी शक्ति सम्प्रभुता है। “

बोदां ने ” संप्रभुता राज्य की अपनी प्रजा तथा नागरिकों के ऊपर वह सर्वोच्च सत्ता है जिस पर किसी विधान का प्रतिबंध नही है। “

विलोबी ने,” प्रभुसत्ता राज्य की सर्वोत्तम इच्छा होती हैं।”

जेंक्स ने,” सम्प्रभुता वह अन्तिम व अमर्यादित अधिकार है जिसकी इच्छा द्वारा ही नागरिक कुछ कर सकते हैं।

बर्गेस ने ” राज्य के सब व्यक्तियों व व्यक्तियों के समुदायों के ऊपर जो मौलिक, सम्पूर्ण और असीम शक्ति है, वही संप्रभुता है।”

डुग्वी ने ” सम्प्रभुता राज्य की वह सर्वोच्च शक्ति है जो राज्य-सीमा क्षेत्र मे निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी बन्धन के आज्ञा प्रदान करती है।

ग्रोसियस ने ” सम्प्रभुता किसी को मिली हुई वह सर्वोच्च शक्ति है जिसके ऊपर कोई प्रतिबंध नही है, और जिसकी इच्छा की उपेक्षा कोई नही कर सकता है।

लास्की ने,” राज्य अपने प्रदेश में स्थित सभी व्यक्तियों तथा व्यक्ति-समुदाय को आदेश देता है परन्तु वह इनमें से किसी के द्वारा आदेश प्राप्त नहीं करता।”

पोलक ने,” प्रभुसत्ता वह शक्ति है जो न तो अस्थायी होती है, न किसी अन्य द्वारा प्रदान की हुई होती हैं, न किन्ही ऐसे विशिष्ट नियमों द्वारा बंधी हुई होती है.

संप्रभुता की परिभाषा

samprabhuta ke prakar – संप्रभुता के प्रकार-

अब तक हमने आपको संप्रभुता की परिभाषा को बताया है और अब हम संप्रभुता के भेद बताने वाले है.

(1)- औपचारिक और वास्तविक संप्रभुता–

संप्रभुता का एक व्यक्ति या ऐसी इकाई से जिसके पास सैद्धांतिक संपूर्ण शक्ति निहित है परंतु व्यवहार में इस प्रकार की शक्ति का प्रयोग वह अपने विवेक के आधार पर नहीं करता है औपचारिक या नाममात्र का संप्रभु कहलाता है।

(2)-कानूनी संप्रभुता–

कानूनी संप्रभु एक संवैधानिक संकल्पना है, जिसका अर्थ है कानून बनाने और उसका पालन कराने की सर्वोच्च शक्ति जिस सत्ता के पास है वह कानूनी संप्रभु है। कानून की दृष्टि मे संप्रभुता की सत्ता का उपयोग करने वाले व्यक्ति अथवा व्यक्तियों को लेकर कोई शंका नही हो सकती।

(3)- राजनीतिक संप्रभुता–

राजनैतिक संप्रभुता अप्रत्यक्ष लोकतांत्रिक देशों में जनता में नहीं होती है जिसको वे चुनाव द्वारा राजनेताओं को सौप देते हैं।

(5) जनसंप्रभुता/लोकप्रिय संप्रभुता :-

यदि वैधानिक संप्रभुता जनता की इच्छा है और यह जनता की इच्छा का विरोध करती है तो वह अधिक समय तक कार्य नही कर सकती है और उसका शीघ्र अन्त कर दिया जाता है।
जनता वैधानिक संप्रभुता के आदेशों का पालन इसलिये करती है, क्योंकि उसके आदेश जनता की इच्छानुसार होते है।

(4) वैध या यथार्थ संप्रभुता-

जब राज्य सत्ता किसी व्यक्ति मे निहित हो, किंतु उसके अधिकारों का प्रयोग अन्य कोई व्यक्ति करता है, तो प्रयोग करने वाली सत्ता यथार्थ संप्रभुता कहलाती है इंग्लैंड मे संसद यथार्थ संप्रभुता का उदाहरण है।

samprabhuta ke lakshan-

samprabhuta ki paribhasha

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FAQ-

संप्रभुता की सबसे अच्छी परिभाषा क्या है?

संप्रभुता की सबसे अच्छी परिभाषा संप्रभुता में आदेश और निष्ठा प्राप्त करने की कानूनसम्मत वास्तविक शक्ति है और यह अपने कानूनों को लागू करती है । संप्रभुता की शक्ति अनन्य और अखंड है। यह स्वयमेव ऐसी इकाई है, जिसे दो या दो से अधिक व्यक्तियों में विभाजित नहीं किया जा सकता है

संप्रभुता को किसने परिभाषित किया?

संप्रभुता को लेविथान (1651) में थॉमस हॉब्स ने बोडिन के समान संप्रभुता की अवधारणा को सामने रखा

संप्रभुता कितने प्रकार की होती है?

संप्रभुता पांच प्रकार की होती है जिसमें (1) औपचारिक और वास्तविक संप्रभुता, (2) कानूनी और राजनीतिक संप्रभुता, (3) आंतरिक और बाहरी संप्रभुता, (4) जनसंप्रभुता/लोकप्रिय संप्रभुता और (5) वैध या यथार्थ संप्रभुता शामिल है।

संप्रभुता की क्या विशेषताएं?

अपनी प्रजा के किसी भी व्यवहार को प्रतिबंधित कर सकता है और वही सर्वोच्च नीति – नियंत्रक होता है ।
वह जिसे चाहे उसे पुरस्कृत कर सकता है और दूसरों को दंडित कर सकता है ।
वह जिसे चाहे सरकार और सेना में किसी भी पद पर नियुक्त कर सकता है।
संप्रभुता न केवल आंतरिक मामलों में बल्कि बाहरी मामलों में भी सर्वोच्च होता है।

संप्रभुता का महत्व क्या है?

संप्रभुता अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का आधार है।
यह अवधारणा बुनियादी नियम बताती है कि कैसे देशों को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने की अनुमति दी जाती है।
सिद्धांत रूप में, इसका मतलब है कि देशों को अपनी सीमाओं के अंदर जो कुछ भी होता है उसे नियंत्रित करना होगा और अन्यत्र जो कुछ भी होता है उसमें वे हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं।

भारत की संप्रभुता क्या है?

 भारत की संप्रभुता हर नागरिक का दायित्व है कि वह भारत की संप्रभुता एकता और अखंडता कायम रखे।

संप्रभुता का दूसरा नाम क्या है?

संप्रभुता का दूसरा नाम – सम्पूर्ण और असीमित सत्ता

संप्रभुता के सिद्धांत क्या हैं?

संप्रभुता के सिद्धांत –
संप्रभुता राज्य की सर्वोच्च शक्ति को दर्शाती है जो इसमें रहने वाले लोगों से आज्ञाकारिता प्राप्त करती है। 
राज्य की शक्ति निर्विवाद है और राज्य को अपने नागरिकों से निष्ठा की मांग करने का अधिकार है।

निकर्ष-

जैसा की आज हमने आपको samprabhuta ki paribhasha, संप्रभुता की परिभाषा, samprabhuta ke prakar के बारे में आपको बताया है.

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