आज हम जानेगे की Shabd Shakti Paribhasha In Hindi, शब्द शक्ति की परिभाषा | शब्द शक्ति के प्रकार | शब्द शक्ति का अर्थ | के बारे में आपको बताने वाले है.
Shabd Shakti Ki Paribhasha-
आज हम यंहा पर आपको शब्द शक्ति किसे कहते है | शब्द शक्ति क्या है | Definition Of Shabd Shakti In Hindi | Shabd Shakti Ka Paribhasha Pdf In Hindi | Shabd Shakti ke udaharan के बारे में बताने वाले है.
शब्द का अर्थ बोध कराने वाली शक्ति ‘शब्द शक्ति’ कहलाती है।
जो शब्द या फिर शब्द समूह तुरंत समझ में नहीं आता है और फिर उसे समझने के लिए किसी अन्य तरीके से समझने के लिए जिस शक्ति का उपयोग किया जाता है उसे शब्द शक्ति कहते है.
शब्द के अर्थ को जिस माध्यम से ग्रहण किया जाता है, वह माध्यम शब्द-शक्ति कहलाता है।
कोई ऐसा शब्द या शब्द समूह में जो अर्थ छिपा होता है, उसे प्रकाशित करने वाली शक्ति को शब्द शक्ति कहते है।
शब्द शक्ति के प्रकार :-
शब्द शक्ति के तीन भेद किए जाते हैं :-
- अभिधा
- लक्षणा
- व्यंजना
1. अभिधा शब्द शक्ति की परिभाषा:-
शब्द की जिस शक्ति के कारण किसी शब्द का साधारण तथा प्रचलित या मुख्य अर्थ समझा जाता है, उसे अभिधा शब्द शक्ति कहते हैं। साक्षात संकेतिक अर्थ को व्यक्त करने वाली शब्द शक्ति अभिधा है।
उदाहरण – किसी ने कहा- पानी दो,
- इस वाक्य का अर्थ अभिधा के माध्यम से कवल इतना ही होगा कि पानी पीने के लिए माँगा गया है।
- यानि की अभिधा शब्द शक्ति में जो बोला जाता है और सुनकर प्रथम बार में ही जो अर्थ ग्रहण किया जाता है, वही अर्थ-ग्रहण की प्रक्रिया इसके अंतर्गत आती है।
अन्य उदाहरण –
- ‘किसान फसल काट रहा है।‘
- इस वाक्य में अभिधा शब्द-शक्ति से यही प्रकट होता है कि फसल किसान द्वारा काटी जा रही है।
- बिल्ली भाग रही है।
- इस वाक्य में केवल बिल्ली का भागना ही प्रकट होता है।
- जयपुर राजस्थान की राजधानी है।
- यहाँ भी सीधे ही अर्थ ग्रहण हो रहा है राजस्थान की राजधानी जयपुर है जो की अभिधा शब्द शक्ति है।
अभिधा शब्द शक्ति के प्रकार-
अभिधा शक्ति शक्ति तीन प्रकार की हैं-
1.1 रूढ़-
ये शब्द जातिवाचक होते हैं,
जैसे- बालक, हांथी, बंदर आदि।
1.2 यौगिक-
इन शब्दों का अर्थ बोध अवयवों (प्रकृति और प्रत्ययों) की शक्ति के द्वारा होता हैं,
जैसे- दिवाकर, सुधांशु आदि।
1.3 योगरूढ़-
इनका अर्थ-बोध समुदाय और अवयवों की शक्ति से होता हैं, ये शब्द यौगिक होते हुए भी रूढ़ होते हैं,
जैसे- जलज, वारिज आदि।
इनका यौगिक अर्थ जल में उत्पत्र वस्तु हैं परंतु योगरूढ़ अर्थ केवल ‘कमल’ हैं।
अभिधा शब्द शक्ति की विशेषताएं-
- शब्द के पहले, पूर्व विधित अर्थ को बताने वाली शब्द शक्ति अभिधा है।
- यह अभिधा जिस अर्थ को बतलाती है, उसे वाक्य अर्थ, अभिधेय अर्थ, या मुख्यार्थ कहा जाता है।
- अभिधा का प्रसाद गुण से निकट का संबन्ध है।
2. लक्षणा शब्द शक्ति की परिभाषा:
जब वक्ता अपने वाक्य में मुख्यार्थ से हटकर कुछ अन्य अर्थ भरने की कोशिश करता है, तब लक्षणों के आधार पर अर्थ-ग्रहण किया जाता है वह लक्षणा शब्द शक्ति कहलाती है।
जैसे:-
- वह गधा हैं।
- इस वाक्य का ‘वह मूर्ख है’ अर्थ हुआ जिसमें गधे की मूर्खता का लक्षण मनुष्य पर आरोपित हैं।
- यह तो निरी गाय है। इस वाक्य का ‘निरी गाय’ से अर्थ है जिसमें गाय के भोलापन का लक्षण मनुष्य पर आरोपित हैं।
2.1 प्रयोजनवती लक्षणा-
शब्दों में किसी मुख्य शब्द का नियत अर्थ ना लेकर के समान अर्थ वाले किसी अन्य शब्द को प्रयुक्त कर लिया जाता है तो वहां पर प्रयोजन वती लक्ष्णा होता है।
उदाहरण:
सतीश गधा है।
इस वाक्य में गधा शब्द को मूर्ख शब्द के लिए प्रयुक्त किया गया है, अर्थात ईश्वर के में गधा का लक्षणा शब्द मूर्ख है, अतः यहां पर प्रयोजन वती लक्ष्णा है।
2.2 रूढ़ी लक्षण-
जिन वाक्यों में मुख्य अर्थ में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न होने पर रूढ़ियों के आधार पर लक्ष्णा को ग्रहण कर लिया जाता है ऐसे वाक्यों में रूढ़ी लक्षण होता है।
उदाहरण:
भारत वीर है।
इस वाक्य में भारत का अर्थ भारत के निवासियों से है। अर्थात इस वाक्य में रूढ़ी लक्ष्णा है।
लक्षणा शब्द शक्ति की विशेषताएं-
- मानवीकरण अलंकार हमेशा लक्षणा में होता है ।
- लक्षणा से व्यक्त अर्थ को लक्ष्यार्थ कहा जाता है।
- जब वाच्य अर्थ या अभिधेय अर्थ लागू ना हो तो लक्षणा से अन्य अर्थ लिया जाता है।
- लक्षणा तीन नियमों पर कार्य करती है :
- इसमें मुख्य अर्थ बाधित हो जाता है तो उसके स्थान पर दूसरा अर्थ लिया जाता है लेकिन यह ध्यान रहे यह अन्य अर्थ भी (दूसरा अर्थ) भी अनिवार्य रूप से मुख्य अर्थ से ही संबंधित होता है।
- इसमें मुख्य अर्थ (अभिधेय अर्थ) लागू नहीं होता है। वह बाधित हो जाता है।
- मुख्य अर्थ को छोड़कर दूसरा या अन्य अर्थ अपनाने के पीछे या तो कोई रूढी होती है अथवा कोई प्रयोजन होता है।
3. व्यंजना शब्द शक्ति की परिभाषा :-
शब्द अपने सामान्य अर्थ को छोड़ कर के किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, ऐसे शब्द व्यंजना शब्द शक्ति के अंतर्गत आते हैं।वह व्यंजना शब्द शक्ति कहलाती है।
व्यंजना के प्रकार –
व्यंजना शक्ति के दो भेद होते हैं-
- शाब्दी व्यंजना
- आर्थी व्यंजना।
3.1 शाब्दी व्यंजना –
जहाँ व्यंग्यार्थ किसी विशेष शब्द के प्रयोग पर आश्रित रहता है, वहाँ शाब्दी व्यंजना होती है इसका प्रयोग अनेकार्थवाची शब्दों के प्रयोग में होता है।
3.2 आर्थी व्यंजना –
जहाँ व्यंग्यार्थ अर्थ पर ही आश्रित रहता है वहाँ आर्थी व्यंजना होती है ।
उदाहरण –
- कुम्हार बोला, “बेटी, बादल हो रहे हैं”।
- उक्त वाक्य में भिन्न-भिन्न व्यंग्यार्थ निकल रहे हैं, जैसे-बर्तन अन्दर ले लो। मिट्टी गीली हो जायेगी। हमें बाहर नहीं जाना चाहिए।
- उसने कहा, ”संध्या हो गई।”
- इसके कई व्यंग्यार्थ हैं, जैसे- गायों के आने का समय हो गया है। बत्ती जलाने का समय है। हमें मन्दिर चलना है। आदि।
- दस बज गए हैं।
- इस वाक्य के व्यंग्यार्थ हैं विद्यालय की घंटी बजने वाली है। बस आने का समय हो गया है । पिताजी कार्यालय जाने वाले हैं। आदि।
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निकर्ष-
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