Shlesh Alankar Ki Paribhasha, श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित

आज हम जानेगे की shlesh Alankar Ki Paribhasha, श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित उदाहरण सहित हिंदी में आपको हम इसमें बताने वाले है.

shlesh alankar ki paribhasha-

अब हम जानेंगे श्लेष अलंकार क्या है | श्लेष अलंकार किसे कहते है | shlesh alankar defintion in hindi | shlesh alankar ke udaharan in hindi | श्लेष अलंकार का अर्थ के बारे में आपको बताने वाले है.

जहाँ पर कोई एक शब्द एक ही बार आता है, लेकिन उस शब्द के अर्थ भिन्न-भिन्न निकलते है, तो वहाँ पर ‘श्लेष अलंकार’ होता है
जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।

श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित –

रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।।

इस उदाहरण में यहां तीसरे पानी शब्द के तीन अर्थ हैं। चमक, प्रतिष्ठा और जल। अतः यह श्लेष अलंकार का उदाहरण है।

सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक|
जो करते विप्लव, उन्हें, ‘हरि’ का है आतंक||

इस उदाहरण में हरि शब्द एक बार प्रयुक्त हुआ है लेकिन उसके दो अर्थ निकलते हैं। पहला अर्थ है बन्दर एवं दूसरा अर्थ है भगवान।

जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत की सोय। बारे उजियारो करै, बढ़ै ॲंधेरा होय॥

यह दोहा बंदरों के सन्दर्भ में भी हो सकता है एवं भगवान के सन्दर्भ में भी। एक सहबद से दो अर्थ निकल रहे हैं, अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।

बारे शब्द का अर्थ है – जलाने पर और बचपन में
बढ़ै शब्द का अर्थ है – बुझाने पर और बड़ा होने पर

इस उदाहरण में यहां बारे और बढ़ै शब्दों के दो-दो अर्थ हैं।

जो चाहो चटक न घटे, मैलो होय न मित्त राज राजस न छुवाइये नेह चीकने चित्त।।

इस उदाहरण में देख सकते हैं कि रज शब्द से डो अर्थ निकल रहे हैं पहला है अहंकार तथा दूसरा धुल।

एक शब्द से नही दो अर्थ निकल रहे है पहला है पहला प्रेम एवं दूसरा तेल। अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।

गुन ते लेत रहीम जन, सलिल कूप ते काढ़ि।
कूपहुं से कहूं होत है, मन काहू को बाढ़ि॥

इस उदाहरण में गुन के दो अर्थ हैं। पहला अर्थ रस्सी तथा दूसरा अर्थ गुण है। अतः इसमें श्लेष अलंकार है।

माया महाठगिनि हम जानी।
तिरगुन फाँस लिए कर डोलै, बोलै मधुरी बानी।

यहाँ ‘तिरगुन’ शब्द में शब्द श्लेष की योजना हुई है। इसके दो अर्थ है- तीन गुण-सत्त्व, रजस्, तमस्। दूसरा अर्थ है- तीन धागोंवाली रस्सी।
ये दोनों अर्थ प्रकरण के अनुसार ठीक बैठते है, क्योंकि इनकी अर्थसंगति ‘महाठगिनि माया’ से बैठायी गयी है।.

मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोय।
जा तन की झाँई परे श्याम हरित दुति होय।।

ऊपर दिए गए काव्यांश में कवि द्वारा हरित शब्द का प्रयोग दो अर्थ प्रकट करने के लिए किया है। यहाँ हरित शब्द के अर्थ हैं- हर्षित (प्रसन्न होना) और हरे रंग का होना। अतः यह उदाहरण श्लेष के अंतर्गत आएगा क्योंकि एक ही शब्द के दो अर्थ प्रकट हो रहे हैं।

जो चाहो चटक न घटे, मैलो होय न मित्त राज राजस न छुवाइये नेह चीकने चित्त।।

उदाहरण में देख सकते हैं कि रज शब्द से डो अर्थ निकल रहे हैं पहला है अहंकार तथा दूसरा धुल।

एक शब्द से नही दो अर्थ निकल रहे है पहला है पहला प्रेम एवं दूसरा तेल। अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।

श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
shlesh alankar ki paribhasha
shlesh alankar ki paribhasha

श्लेष अलंकार के प्रकार –

श्लेष अलंकार को दो भागों में विभाजित किया गया है।

शब्द श्लेष-

जब एक ही शब्द का कई बार प्रयोग हो और दोनों के अर्थ में भिन्नता हो यो वहाँ शब्द श्लेष होता है।

जैसे –

खुले बाल, खिले बाल
चंदन को टीको लाल ।

यहां पर बाल शब्द दो बार आया है जिनमे से पहले का अर्थ है खुले हुए सिर के बाल और दूसरे का अर्थ है बालक । अर्थात यहां पर शब्द श्लेष अलंकार है।

अर्थ श्लेष-

जहाँ पर कोई शब्द एक बार आया हो परंतु उसके कई अर्थ निकलकर आ रहे हों वहां पर अर्थ श्लेष अलंकार की उपस्थिति होती है। जैसे –

जैसे – प्रियतम बतला दो लाल मेरा कहाँ है ?

यहाँ पर लाल शब्द के दो अर्थ हैं । पहला – पुत्र और दूसरा – रत्न । अतः यहाँ पर अनेकार्थ होने के कारण अर्थ श्लेष है।

श्लेष अलंकार की परिभाषा संस्कृत में –

shlesh alankar ki paribhasha

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निकर्ष-

  • जैसा की आज हमने आपको shlesh alankar ki paribhasha, श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित, श्लेष अलंकार के प्रकार जानकारी के बारे में आपको बताया है.
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