आज हम जानेगे की UPMA Alankar Ki Paribhasha In Hindi, उपमा अलंकार की परिभाषा, उपमा अलंकार किसे कहते है upma alankar ke udaharan के बारे बताने वाले है.
आज हम जानेंगे की उपमा अलंकार क्या होता है, definition of upma alankar in hindi, उपमा अलंकार का अर्थ, UPMA Alankar Ke Prakar के बारे में बताने वाले है-
UPMA Alankar Ki Paribhasha-
उपमा शब्द का मतलब होता तुलना है जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु से की जाती है तब वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।
या जहाँ गुण धर्म या क्रिया के आधार पर उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है। जिस एक वस्तु की समानता या तुलना की जाए, किसी दूसरी वस्तु से, उसे उपमा अलंकार कहते है.
उपमा अलंकार के अंग-
उपमा अलंकार के मुख्य चार अंग है जो एक उपमा अलंकार के लिए आवश्यक होते हैं।
- उपमेय
- उपमान
- वाचक शब्द
- साधारण धर्म
उपमेय :- उपमेय का मतलब होता है – उपमा देने के योग्य। यदि जिस वस्तु की समानता किसी दूसरी वस्तु से की जाये तब वहाँ पर उपमेय होता है।
उपमान :- उपमेय की उपमा जिस से दी जाती है उसे उपमान कहते हैं। अथार्त उपमेय की जिसके साथ समानता बताई जाती है उसे उपमान कहते हैं।
साधारण धर्म :- दो वस्तुओं के बीच समानता दिखाने के लिए जब किसी ऐसे गुण या धर्म की सहायता ली जाती है जो दोनों में वर्तमान स्थिति में हो उसी गुण या धर्म को साधारण धर्म कहते हैं।
वाचक शब्द :- जब उपमेय और उपमान में समानता दिखाई जाती है तब उस समय जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है उसे वाचक शब्द कहते हैं।
UPMA Alankar Ke Prakar- उपमा अंलकार के भेद
उपमा अलंकार दो प्रकार होते हैं।
- पूर्णोपमा अलंकार
- लुप्तोपमा अलंकार
1-पूर्णोपमा अलंकार-
जिस उपमा अलंकार में उपमा के सभी अंग उपस्थित होते हैं जैसे उपमेय, उपमान, वाचक शब्द, साधारण धर्म आदि अंग होते हैं वहाँ पर पूर्णोपमा अलंकार होता है।
उदाहरण-
सागर-सा गंभीर ह्रदय हो,
गिरी-सा ऊँचा हो जिसका मन।
उदाहरण–
‘राधा बदन चंद सो सुंदर’
उपर दिए गए उदाहरण में पंक्ति में पूर्णोपमा अलंकार है क्योंकि इसमें चारों अंग उपमेय (राधा बदन), उपमान (चंद), वाचक शब्द (सो) एवं सामान्य गुण धर्म (सुन्दर) मौजूद है
2-लुप्तोपमा अलंकार-
जिस उपमा अलंकार में उपमा के चारों अंगों में से यदि एक या दो का या फिर तीन उपस्थित न हो तब वहाँ पर लुप्तोपमा अलंकार होता है।
उदाहरण–
कल्पना सी अतिशय कोमल।
उपर दिए गए उदाहरण में उपमेय उपस्थित नहीं है तो इसलिए यह लुप्तोपमा का उदहारण है।
‘मुख सा चन्द्र है
उपर दिए गए उदाहरण में ‘मुख सा चन्द्र है’ पंक्ति में लुप्तोपमा अलंकार है क्योंकि इसमें चारों अंग उपमेय (मुख), उपमान (चन्द्रमा), वाचक शब्द (सा) एवं सामान्य गुण (लुप्त) धर्म में से सामान्य गुणधर्म गायब है.
upma alankar ke udaharan- उपमा अलंकार के उदाहरण
अब आपको हम यंहा पर स्पष्टीकरण के साथ बताने वाले है-
उदाहरण-
जैसे – सागर-सा गंभीर हृदय हो,
गिरि सा ऊँचा हो जिसका मन
इस उदाहरण में सागर (उपमान) के समान गंभीर हृदय (उपमेय) और गिरि (पर्वत) के सामान मन (उपमेय) की तुलना की गयी है।
उदाहरण-
कर कमल-सा कोमल हैं
उपर दिए गए उदाहरण में कर-उपमेय है, कमल-उपमान है, कोमल-साधारण धर्म है एवं सा-वाचक शब्द है।
जब किन्ही दो वस्तुओं की उनके एक सामान धर्म की वजह से तुलना की जाती है तब वहां उपमा अलंकार होता है।
उदाहरण-
हरि पद कोमल कमल
उपर दिए गए उदाहरण में हरि के पैरों कि तुलना कमल के फूल से की गयी है। हरि के चरणों को कमल के फूल के जैसे कोमल बताया गया है।
उदाहरण-
तो मुख सोहत है ससि सो, अरु सोहत है ससि तो मुख जैसो।
इस उदाहरण में मुख (उपमेय) को शशि चन्द्रमा (उपमान) जैसा बताया गया है और ससि को मुख जैसा वर्णित किया गया है।
उदाहरण-
- गर्व सा गिर उच्च निर्झर स्रोत से,
- स्वप्न मेरा शिलामय हृदय में,
- घोषणा भीषण कर रहा वज्र सा
- बात सा भूकम्प सा उत्पात सा।
- तूल सी ममाजीर बाल सामने,
- निरत थी जिन बाल क्रीड़ा में।
उदाहरण-
- तुम्हारी आँखों का आकाश,
- सरल आँखों का नीलाकाश
- खो गया मेरा मन अनजान,
- मृगेक्षिणी इनमें खग अज्ञान।
उदाहरण-
वह मृगी सी चकित आँखों को फिरा थीं छिपाना चाहती अपनी दशा।
उदाहरण-
- पीले पत्तों की शैया पर, तुम विरक्ति सी. मूर्छा सी, विजन विपिन में कौन पड़ी हो.
- विरह मलिन दुख विधुरा सी, पछतावे की परछाई सी, तुम भूपर छायी हो कौन
उपमा अलंकार के 10 उदाहरण-–
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निकर्ष-
जैसा की आज हमने आपको UPMA Alankar Ki Paribhasha, upma alankar ke udaharan, उपमा अंलकार के भेद के बारे में आपको बताया है.
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