आज हम जानेगे की Vibhats Ras Ki Paribhasha In Hindi, वीभत्स रस की परिभाषा, Vibhats Ras Ka Udaharan, वीभत्स रस किसे कहते है, वीभत्स रस क्या है, वीभत्स रस के उदाहरण आपको हम इसमें बताने वाले है.
आज हम आपको वीभत्स रस का अर्थ | वीभत्स रस क्या होता है | Vibhats Ras Definition In Hindi | In Hindi में बताने वाले है.
Vibhats Ras Ki Paribhasha-
वीभत्स रस वो है जिसमे घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर या फिर उनके बारे में सोचने से मन में जो घृणा या ग्लानि उत्पन्न होतो वही वीभत्स रस कहलाती है.
अर्ताथ जब हम किसी वस्तुओं के वर्णन करते समय मनुष्य के अन्दर घृणा का भाव आये और जिसमे जैसे मांस, पीत, खून, आदि भावो की अनुभूति होतो वहां वीभत्स रस होता है.
वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा होता है.
जुगुप्सा का अर्थ है–भद्दी, घिनौनी, अप्रिय स्थिति, वस्तु, स्थान आदि का वर्णन जिससे घृणा का भाव उत्पन्न होता है।
जहां पर जुगुप्सा (घृणा) नामक स्थाई भाव परिपक्व अवस्था में होता है वहां वीभत्स रस होता है।
नाट्य शास्त्र के प्रणेता भारत मुनि के अनुसार वीभत्स रस भयानक रस का उत्पादक है.
वीभत्स रस के भाव-
वीभत्स रस के उदाहरण- Vibhats ras ka udaharan-
उदाहरण – 1
- सिर पै बैठ्यो काग, आँख दोउ खात निकारत ।
- खँचत जीभहिं स्यार, अतिहि आनन्द उर धारत ॥
- गीध जाँघ को खोदि-खोदि कै माँस उखारत ।
- स्वान अंगुरिन काटि- काटि कै खान विचारत ॥
- बहु चील नोचि ले जात तुच, मोद-मढ्यो सब को हियो ।
- मनु ब्रह्मभोज जिजमान कोउ आजु भिखारिन्ह कहँ दियो ॥
स्पष्टीकरण सहित उदाहरण – रस – वीभत्स । स्थायी भाव-जुगुप्सा । आश्रय- दर्शक। आलम्बन – श्मशान । उद्दीपन-काग का आँखों को निकालना, स्यार का जीभ को खींचना, गीध का जाँघ का माँस उखाड़ना आदि। अनुभाव – रोमांच, नाक-भौं सिकोड़ना आदि (ऊपर से आक्षेप करना होगा)। संचारी भाव-आवेग आदि (आक्षिप्त) । यहाँ पर वीभत्स रस है।
उदाहरण – 2
- रिपु-आँतन की कुंडली करि जोगिनी चबात।
- पीबहि में पागी मनो जुवति जलेबी खात ॥
स्पष्टीकरण सहित उदाहरण – रस – वीभत्स। स्थायी भाव- जुगुप्सा आश्रय- दर्शक। आलम्बन – जोगिनी । उद्दीपन – आँतों को पीब में पाग- पाग कर खाना । अनुभाव-रोमांच, नाक-भौं सिकोड़ना, आँखें बन्द करना आदि (ऊपर सेआक्षेप करना होगा) । संचारी भाव-आवेग आदि (आक्षेप करना होगा)। यहाँ पर वीभत्स रस है।
वीभत्स रस के सरल उदाहरण-
- धर में लासे, बाहर लासे
- जन – पथ पर पर, सड़ती लाशें |
- आँखे न्रिशंस यह, दृश्य देख
- मुद जाती घुटती है साँसे ||
उदाहरण – 2
- रक्त-मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है।
- महाघोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा।
- तैर रहे गल अस्थि- खण्डशत, रुण्ड-मुण्डहत
- कुत्सित. कृमि-संकुल कर्दम में महानाश के ॥
उदाहरण – 3
- जहँ – तहँ मज्जा माँस रुचिर लखि परत बगारे |
- जित – जित छिटके हाड़, सेत कहुं -कहुं रतनारे ||
उदाहरण – 4
- गीध जांधि को खोदि-खोदि कै मांस उपारत।
- स्वान आंगुरिन काटि-काटि के खात विदारत ॥
उदाहरण – 5
- आँखें निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते।
- शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला-चभला कर खाते।।
- भोजन में श्वान लगे मुरदे थे भू पर लेटे ।
- खा माँस चाट लेते थे, चटनी सम बहते बेटे ।।
उदाहरण – 6
- बहु चील्ह नोंचि ले जात तुच, मोद मठ्यो सबको हियो।
- जनु ब्रह्म भोज जिजमान कोउ, आज भिखारिन कहुँ दियो।।
उदाहरण – 7
- सिर पर बैठो काग, आँख दोऊ खात निकारत ।
- खेचत जीनहि स्यार अतिहि आनंद उर धारत ।।
उदाहरण – 8
- वस्तु घिनौनी देखी सुनि घिन उपजे जिय माँहि।
- छिन बाढ़े बीभत्स रस, चित की रुचि मिट जाँहि।
- निन्द्य कर्म करि निन्द्य गति, सुनै कि देखै कोइ।
- तन संकोच मन सम्भ्रमरु द्विविध जुगुत्सा होइ।
उदाहरण – 9
- आंतन की तांत बाजी, खाल की मृदंग बाजी।
- खोपरी की ताल, पशु पाल के अखारे में।।
उदाहरण – 10
- लेकिन हाय मैंने यह क्या देखा,
- तलवों में वाण विधते ही,
- पीप भरा दुर्गंधित नीला रक्त,
- वैसा ही बहा,
- जैसा इन जख्मों से अक्सर बहा करता है।।
उदाहरण – 11
- इस ओर देखो, रक्त की यह कीच कैसी मच रही!
- है पट रही खंडित हुए, बहु रुंड-मुंडों से मही।।
- कर-पद असंख्य कटे पड़े, शस्त्रादि फैले हैं तथा
- रणस्थली ही मृत्यु का एकत्र प्रकटी हो यथा!
उदाहरण – 12
- गिद्ध चील सब मंडप छावहिं
- काम कलोल करहि औ गावहिं।
यह भी पढ़े –
निकर्ष-
जैसा की आज हमने आपको वीभत्स रस की परिभाषा, वीभत्स रस के उदाहरण जानकारी के बारे में आपको बताया है.
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