आज हम जानेगे की Dirgh Sandhi Ki Paribhasha in Hindi, दीर्घ संधि किसे कहते है, dirgh sandhi ke udaharan, Dirgh Sandhi In Hindi, दीर्घ संधि की परिभाषा आपको बताने वाले है.
अब आपको हम यंहा पर दीर्घ संधि क्या है, dirgh Sandhi Definition In Hindi, दीर्घ संधि का अर्थ, Dirgh Sandhi Ke Niyam के बारे में बताने वाले है जो की आपके एग्जाम यह जानकारी अवस्य काम आएगी-
Dirgh Sandhi Ki Paribhasha-
जब हम संधि करते है तो दो शब्दों (अ, आ) के साथ (अ, आ) हो तो ‘आ‘ बनता है, जब (इ, ई) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ई‘ बनता है, जब (उ, ऊ) के साथ (उ, ऊ) हो तो ‘ऊ‘ बनता हैइसे दीर्घ संधि कहते है.
इस संधि को हम ह्रस्व संधि भी कह सकते हैं।
दीर्घ संधि की परिभाषा संस्कृत में –
दीर्घ संधि का सूत्र अक: सवर्णे दीर्घ: होता है यानि ह्रस्व या दीर्घ ‘अ, इ, उ तथा ऋ’ स्वरों के पश्चात् ह्रस्व या दीर्घ ‘अ, इ, उ या ऋ’ स्वर आएँ तो दोनों मिलकर ‘आ, ई, ऊ और ॠ’ हो जाते हैं।
दीर्घ स्वर संधि के नियम-
- जब अ,आ के साथ अ,आ हो तो “आ” बनता है
- जब इ,ई के साथ इ,ई हो तो “ई” बनता है
- जब उ,ऊ के साथ उ,ऊ हो तो “ऊ”बनता है
- ऋ के साथ ऋ/ ऋ हो तो “ऋ” बनता है
अर्थात जब पूर्व पदान्त हृस्व/दीर्घ अ, इ,उ, ऋ, के पश्चात कोई सजातीय वर्ण हो तो पूर्व -पर वर्णों के स्थान पर दीर्घ वर्ण क्रमशः आ, ई, ऊ, ऋ आदेश होगा.
दीर्घ संधि के उदाहरण- dirgh Sandhi Ke udaharan –
विद्या + अभ्यास : विद्याभ्यास (आ + अ = आ)
ऊपर दिए गए उदाहरण में जब आ एवं अ दो स्वरों को मिलाया गया तो उन्होंने आ का निर्माण किया। अतः यह दीर्घ संधि के अंतर्गत आएगा।
कवि + ईश्वर : कवीश्वर (इ + ई = ई)
ऊपर दिए गए उदाहरण में इ और ई ये दो स्वरों को मिलाया गया। जब संधि होते समय ये दो स्वर मिले तो इन्होने ई बना दिया। अतः यह उदाहरण दीर्घ संधि के अंतर्गत आएगा।
वधु + उत्सव : वधूत्सव (उ + उ = ऊ)
ऊपर दिए गए उदाहरण में उ एवं उ ये दोनों स्वर संधि के समय मिले तो इस दोनों के मिलने से ऊ में परिवर्तित हो गया तो यह उदाहरण दीर्घ संधि के अंतर्गत आएगा।
पितृ + ऋकार: = पितॄकार:
पितृ + ऋणम् = पितॄणम्
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते ऋ एवं ऋ ये दोनों स्वर संधि के समय मिले तो इस दोनों के मिलने से ऋ में परिवर्तित हो गया तो अतः यह उदाहरण दीर्घ संधि के अंतर्गत आएगा।
चारों + ओर = चारौर
उदाहरण में जैसा कि प्रथम शब्द चारों में अंतिम वर्ण है ‘ओ’ (रों = र् + ओ) तथा द्वितीय शब्द ओर में प्रथम वर्ण स्पष्तः ‘ओ’ है। अतः ओ + ओ = औ। अतः संधि होने पर रों और ओ जुड़ कर रौ बने।
दीर्घ संधि के 50 उदाहरण-
दीर्घ संधि में (अ + अ = आ ) के उदाहरण :-
धर्म + अर्थ | धर्मार्थ |
स्व + अर्थी | स्वार्थी |
देव + अर्चन | देवार्चन |
मत + अनुसार | मतानुसार |
परम + अर्थ | परमार्थ |
धर्म + अधर्म | धर्माधर्म |
अन्न + अभाव | अन्नाभाव |
दीर्घ संधि में (अ + आ = आ) के उदाहरण
देव + आगमन | देवागमन |
गज + आनन | गजानन |
परम + आनंद | परमानंद |
धर्म + आत्मा | धर्मात्मा |
दीर्घ संधि में ( आ + आ = आ) के उदाहरण :-
महा + आनंद | महानंद |
महा + आत्मा | महात्मा |
वार्ता + आलाप | वार्तालाप |
दया + आनंद | दयानन्द |
श्रद्धा + आनद | श्रद्धानन्द |
दया + आनंद | दयानन्द |
दीर्घ संधि में ( इ + इ = ई ) के उदाहरण
कवि + इंद्र | कवीन्द्र |
मुनि + इंद्र | मुनीन्द्र |
अभि + इष्ट | अभीष्ट |
मुनि + इंद्र | मुनींद्र |
दीर्घ संधि में ( ई + इ = ई ) के उदाहरण :-
योगी + इंद्र | योगीन्द्र |
मही + इंद्र | महींद्र |
लक्ष्मी + इच्छा | लक्ष्मीच्छा |
पत्नी + इच्छा | पत्नीच्छा |
गिरि + इंद्र | गिरीन्द्र |
दीर्घ संधि में ( ई + ई = ई ) के उदाहरण
रजनी + ईश | रजनीश |
सती + ईश | सतीश |
नारी + ईश्वर | नारीश्वर |
लक्ष्मी + ईश | लक्ष्मीश |
दीर्घ संधि में (उ + उ = ऊ) के उदाहरण :-
भानु + उदय | भानूदय |
गुरु + उपदेश | गुरूपदेश |
लघु + उत्तर | लघूत्तर |
सु + उक्ति | सूक्ति |
दीर्घ संधि ऊ + उ = ऊ के उदाहरण :-
भू + उद्धार | भूद्धार |
वधू + उत्सव | वधूत्सव |
वधू + उपकार | वधूपकार |
सरयू + उल्लास | सरयूल्लास |
दीर्घ संधि में ( ऊ + उ = ऊ) के उदाहरण
वधू + उपकार | वधूपकार |
भू + उद्धार | भूद्धार |
सरयू + उल्लास | सरयूल्लास |
वधू + उत्सव | वधूत्सव |
यह भी पढ़े –
निकर्ष-
जैसा की आज हमने आपको दीर्घ संधि की परिभाषा, दीर्घ संधि के 10 उदाहरण जानकारी के बारे में आपको बताया है.
इसकी सारी प्रोसेस स्टेप बाई स्टेप बताई है उसे आप फोलो करते जाओ निश्चित ही आपकी समस्या का समाधान होगा.
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