आज हम जानेगे की Muktak Chhand Ki Paribhasha In Hindi, मुक्तक छंद की परिभाषा उदाहरण सहित, मुक्तक छंद का अर्थ | मुक्तक छंद क्या है, मुक्तक छंद किसे कहते है आपको हम इसमें बताने वाले है.
muktak chhand ki paribhasha-
अब आपको यंहा पर हम muktak Chhand Definition In Hindi, मुक्तक छंद के उदाहरण, muktak Chhand In Hindi बताने वाले है-
मुक्तक छंद की परिभाषा –
मुक्तक छंद वह है जिसमे वर्णों और मात्राओं का बंधन नहीं होता उन्हें मुक्तक छंद कहते हैं अथार्त हिंदी में स्वतंत्र रूप से आजकल लिखे जाने वाले छंद मुक्त छंद होते हैं।
मुक्त छंद तो वह है, जो छंद की भूमि में रहकर भी मुक्त है। इनमें कोई नियम नहीं। केवल प्रवाह कवित्त छंद का सा जान पड़ता है।
मुक्त छंद का प्रयोग हिन्दी काव्यक्षेत्र में एक विद्रोह का प्रतीक रहा है। इसे ‘स्वच्छंद छंद’ भी कहा गया है।
इस छंद में चरणों की अनियमित, असमान, स्वछन्द गति और भाव के अनुकूल यति विधान ही मुक्त छंद की विशेषता है। इसे रबर या केंचुआ छंद भी कहते हैं।
इस छंद कहीं-कहीं आठ अक्षर आप-ही-आप आ जाते हैं। मुक्त छंद का समर्थक उसका प्रवाह ही है वही उसे छंद सिद्ध करता है की यह मुक्त छंद है.
मुक्तक छंद के उदाहरण, muktak chhand ka udaharan –
उदाहरण–
वह आता
दो टूक कलेजे के करता पछताता
पथ पर आता।
पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक ,
चल रहा लकुटिया टेक ,
मुट्ठी भर दाने को भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलता
दो टूक कलेजे के कर्ता पछताता पथ पर आता।
उदाहरण–
करूँ कर जोरकर वंदन ‘जहाँ’ का प्यार मिलता है
मुझे गुरुवर की वाणी में उपनिषद सार मिलता है
गुरु के ज्ञान के बखान की शक्ति है नहीं मुझमें
गुरु की चरण रज में तो सकल संसार मिलता है.
उदाहरण–
मीरा की प्रभु प्रीत पर, दुनिया को है नाज।
महल छोड़ बन साधवी,पहनी सेवा ताज।
नाम जपे जग आज तक,अमर रहे यह भक्त_
मीरा जैसी भक्त बन,जीवन का रख लाज।
उदाहरण–
मीरा मीरा सब जपे, मीरा को कर याद।
प्रीत भगवान से लगा, कर ले कुछ फरियाद।
प्रेम भाव के फूल बन, जीवन सौरभ कांत
उलफत करुणा बांटते,सुन्दर कर संवाद।
उदाहरण–
चितकबरे चाँद को छेड़ो मत
शकुंतला-लालित-मृगछौना-सा अलबेला है।
प्रणय के प्रथम चुंबन-सा
लुके-छिपे फेंके इशारे-सा कितना भोला है।
टाँग रहा किरणों के झालर शयनकक्ष में चौबारा
ओ मत्सरी, विद्वेषी ! द्वेषानल में जलना अशोभन है।
दक्षिण हस्त से यदि रहोगे कार्यरत
तो पहनायेगा चाँद कभी न कभी जयमाला।
उदाहरण–
गुरु करुणा का सागर है गुरु ममता का सागर है
मिले जिसमें अमर पीयूष गुरु ऐसी ओ गागर है
हमारी छुद्र सी काया को हिमगिरि में तब्दीला
ढके तम ज्ञान की आभा गुरु ऐसी ओ चादर है.
उदाहरण–
गुरु ही सत गुरु ही चित गुरु ब्रम्हाण्ड का दर्पण
गुरु बिन ज्ञान का कोइ नहीं है केन्द्र आकर्षण
वेदों और पुराणों में यहीं व्याख्यान मिलता है
जले ब्रम्हाण्ड का दीपक स्वयं गुरु को करो अर्पण
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FAQ-
मुक्त छंद के जनक कौन है?
मुक्त छंद के जनक सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ माने जाते हैं यह आधुनिक युग की देन है।
मुक्त छंद कितने प्रकार के होते हैं?
छंद चार प्रकार के होते हैं—मात्रिक, वर्णिक, वर्णिक वृत्त एवं मुक्त। मुक्तक छंद का अलग से कोई प्रकार नहीं यह ही छंद का एक प्रकार है.
मुक्त छंद के प्रथम कवि कौन थे?
मुक्त छंद के प्रथम कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ माने जाते हैं यह आधुनिक युग की देन है।
मुक्तक छंद का दूसरा नाम क्या है?
मुक्तक छंद का दूसरा नाम रबर या केंचुआ छंद के नाम से जानते है.
मुक्त छंद इतना लोकप्रिय क्यों है?
मुक्तक छंद इसीलिए लोकप्रिय है क्योकि जिसमे वर्णों और मात्राओं का बंधन नहीं होता उन्हें मुक्तक छंद कहते हैं अथार्त हिंदी में स्वतंत्र रूप से आजकल लिखे जाने वाले छंद मुक्त छंद होते हैं।
निकर्ष-
जैसा की आज हमने आपको muktak chhand ki paribhasha, मुक्तक छंद की परिभाषा जानकारी के बारे में आपको बताया है.
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