आज हम जानेगे की chaupai chhand ki paribhasha udaharan sahit In Hindi, चौपाई छंद की परिभाषा, चौपाई छंद का अर्थ, चौपाई छंद क्या है इसके बारे में आपको हम इसमें बताने वाले है.
अब आपको यंहा पर हम chaupai Chhand Kya Hai, चौपाई छंद किसे कहते है, Defination Of chaupai Chhand In Hindi, chaupai Chhand Ke Udaharan बताने वाले है-
chaupai Chhand Ki Paribhasha- चौपाई छंद की परिभाषा –
चौपाई छंद एक मात्रिक छंद होता है चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है। ‘प्राकृतपैंकलम्’ का चउपइया 15 मात्राओं का भिन्न छन्द है उसे चौपाई छंद कहते है.
इसके चरण के अंत में जगण और तगण का आना वर्जित होता है। तुक प्रथम चरण के द्वितीय चरण तथा तृतीय चरण के चतुर्थ चरण से मिलते है।
गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है।
इसमें प्रत्येक चरण के अंत में यति होती है। चरण के अंत में गुरु स्वर या लघु स्वर नहीं होते है लेकिन दो गुरु स्वर और दो लघु स्वर हो सकते है।
चौपाई छंद के नियम –
(1) चौपाई छंद के प्रत्येक चरण में 16 मात्राएं होती है।
(2) चौपाई छंद में अंतिम दो वर्ण की मात्राएं ( S I ) नहीं होती है।
(3) चौपाई छंद में चरण के अन्त में जगण ( I I S ) अथवा तगण ( S I I ) नहीं होना चाहिए।
Chaupai Chhand Ke Udaharan – चौपाई छंद के उदाहरण
उदाहरण –
बिनु पग चले सुने बिनु काना।
कर बिनु कर्म करे विधि नाना ।।
तनु बिनु परस नयन बिनु देखा।
गहे घ्राण बिनु वास असेखा ॥
बिनु पग चले सुने बिनु काना।
I I I I I S I S I I S S = 16 मात्राएं
इसी प्रकार यंहा पर सभी चरणों मे 16 मात्राएं है तो यहाँ पर चौपाई छंद है।
उदाहरण –
“इहि विधि राम सबहिं समुझावा
गुरु पद पदुम हरषि सिर नावा।
इहि विधि राम सबहिं समुझावा
il Il Sl Ill Il SS = 16 मात्राएं
उदाहरण –
जो न होत जग जनम भरत को।
सकल धरम धुर धरनि धरत को ॥
जो न होत जग जनम भरत को।
S I S I I I I I I I I I S = 16 मात्राएं
चौपाई छंद के 10 उदाहरण–
उदाहरण – 1
जय हनुमान ग्यान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।
उदाहरण – 2
रामु लखनु सिय सुनि मम नाऊँ ।
उठि जनि अनत जाहिं तजि ठाऊँ॥
उदाहरण – 3
राम दूत अतुलित बलिधामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।
उदाहरण – 4
नित नूतन मंगल पुर माहीं।
निमिष सरिस दिन जामिनि जाहीं।।
बड़े भोर भूपतिमनि जागे।
जाचक गुनगन गावन लागे ।।
उदाहरण – 5
सकल मलिन मनः दीन दुखारी।
देखी सासु आन अनुसारी ॥
उदाहरण – 6
बंदउँ गुरु पद पदुम परागा।
सुरुचि सुबास सरस अनुराग ।।
अमिय मूरिमय चूरन चारू।
समन सकल भव रुज परिवारू ।।
उदाहरण – 7
मधुवन में ऋतुराज समाया।
पेड़ों पर नव पल्लव लाया।।
उदाहरण – 8
टेसू की फूली हैं डाली।
पवन बही सुख देने वाली।।
उदाहरण – 9
आम, नीम, जामुन बौराए।
भँवरे रस पीने को आए।।
उदाहरण – 10
उदाहरण – 11
कोकिल इसी लिए है गाता।
स्वर भरकर आवाज लगाता।।
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निकर्ष-
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