Savaiya Chhand Ki Paribhasha, सवैया छंद की परिभाषा

आज हम जानेगे की savaiya Chhand Ki Paribhasha iN Hindi | सवैया छंद की परिभाषा उदाहरण सहित | सवैया छंद का अर्थ | सवैया छंद के प्रकार | सवैया छंद क्या है इसके बारे में आपको हम इसमें बताने वाले है.

Savaiya Chhand Ki Paribhasha- सवैया छंद की परिभाषा

अब आपको यंहा पर हम Savaiya Chhand Kya Hai, सवैया छंद किसे कहते है, Savaiya Defination Of Doha Chhand In Hindi, Savaiya Chhand Ka Udaharan बताने वाले है-

सवैया एक सम वर्णिक छंद है जो किसी की प्रशंसा में लिखा जाता है। इस छंद में, प्रत्येक छंद सामान्य छंद की लंबाई का एक-चौथाई है। यह एक समान वर्णिक छंद है। प्रत्येक चरण में 22 से 26 वर्ण होते हैं। 22 से 26 अक्षरों के बीच के छंद सवैया छंद कहलाते हैं।

Savaiya Chhand Ki Paribhasha

Savaiya Chhand Ka udaharan –

अब आपको हम यंहा पर सवैया छंद के आसान उदाहरण, savaiya chhand easy example in hindi बताने वाले है,

उदाहरण-

हिये वनमाल रसाल धरे सिर मोर किरीट महा लसिबो
।ऽ ।।ऽ। ।ऽ। ।ऽ ।। ऽ। ।ऽ। ।ऽ ।।ऽ
जगण + 1 लघु + गुरु = सुमुखी सवैया

उदाहरण-

राम सदा करता सबके मनभावन पूर्ण सजे सपने रे।
नाम रटो मन से भजके सच हों सब चाह भरे सपने रे।
प्रेम जगा मन में करले उसका तप हार नहीं सपने रे।
जीत सदा रहती मन में बसके बस योग मिला अपने रे।

उदाहरण-

जहाँ सब संकट, दुर्गट सोचु, तहाँ मे’रो’ साहे’बु राखै’ रमैया॥

उदाहरण-

“लोरी सरासन संकट कौ,
सुभ सीय स्वयंवर मोहि बरौ।
नेक ताते बढयो अभिमानंमहा,
मन फेरियो नेक न स्न्ककरी।
सो अपराध परयो हमसों,
अब क्यों सुधरें तुम हु धौ कहौ।
बाहुन देहि कुठारहि केशव,
आपने धाम कौ पंथ गहौ।।”

उदाहरण-

मानुष हौं तो’ वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के’ ग्वारन।
जो पसु हौं तो’ कहा बस मेरो’ चरौं नित नंद की’ धेनु मँझारन।।

वर्णों की संख्या एवं गणों की प्रकृति के आधार पर ग्यारह भेद होते है –

सवैया के ग्यारह भेद होते है –

सवैया छंद के प्रकार –

ये निम्न प्रकार के होते हैं –

  • मदिरा सवैया
  • मत्तगयन्द सवैया
  • दुर्मिल सवैया
  • किरीट सवैया
  • सुमुखि सवैया
  • मुक्तहरा सवैया
  • गंगोदक सवैया
  • वाम सवैया
  • सुखी सवैया
  • सुन्दरी सवैया
  • अरविन्द सवैया
  • अरसात सवैया
  • मानिनी सवैया
  • महाभुजंगप्रयात सवैया
सवैया छंद की परिभाषा

मत्तगयंद सवैया –

इस वर्णिक छंद में चार चरण होते हैं | प्रत्येक चरण में सात भगण और दो गुरु के क्रम में 23 वर्ण होते है | इसे मालती सवैया भी कहते है |

उधाहरण –

धूरी भरे अति शोभित श्यामजू, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी |
खेलत खात फिरै अंगना, पग पैंजनी बाजति पीरी कछौटी ||
वा छवि को रसखानि बिलोकत, वरात काम कलानिधि कोटि |
काग के भाग बड़े सजनी, हरि हाथ सौ ले गयौ माखन रोटी ||

दुर्मिल सवैया –

सवैया छंद की परिभाषा

उदाहरण –

पुर तैं निकसी रघुबीर वधू धरि – धीर दये मग में डग द्वै |
झलकी भरि भाल कनी जल की, पुट सूखि गये मधुराधर वै ||
फिर बुझति हैं चलनौं अब केतिक पर्णकुटी करिहों कित है |
तिय की लखि आतुरता पिय की अँखियाँ अति चारू चलीं जल च्वै ||

मदिरा सवैया –

मदिरा सवैया में 7 भगण (ऽ।।) + गुरु से यह छन्द बनता है, 10, 12 वर्णों पर यति होती है।

तुलसीदास ने भी कवितावली में इस छंद का प्रयोग किया है-

ठाढ़े हैं नौ द्रुम डार गहे, धनु काँधे धरे, कर सायक लै।

केशव ने इस छन्द का प्रयोग किया है-

सिन्धु तर्यो उनका बनरा,
तुम पै धनु-रेख गयी न तरी।

किरीट सवैया –

किरीट सवैया नामक छंद आठ भगणों से बनता है। तुलसी, केशव, देव और दास ने इस छन्द का प्रयोग किया है। इसमें 12, 12 वर्णों पर यती होती है।

  • “तोरथो सरासन संकर को जेहि सोऽब कहा तुव लंक न तोरहि।
  • “अंसबली जनम्यौ जदुबंस, सुजान्यौ जसोमति कंस-कथा सुनि।
  • जानकी जीवन को जन है जरि जाउ सो आँचल औरहि।

सुमुखि सवैया –

सुमुखि सवैया सात जगण और लघु-गुरु से छन्द बनता है; 11, 12 वर्णों पर यति होती है। मदिरा सवैया आदि में लघु वर्ण जोड़ने से यह शब्द बनता है।

  • “अनन्य हिमांशु, सदा तरुणीजन की परिरम्भण-शीतलता।
  • “सखीन सों देत उराहनो नित्य, सो चित्त सँकोच सने लहिये।

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निकर्ष-

  • जैसा की आज हमने आपको Savaiya Chhand in hindi | सवैया छंद की परिभाषा उदाहरण सहित | Doha Chhand Ke Udaharan | जानकारी के बारे में आपको बताया है.
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