आज हम जानेगे की Paryayvachi Shabd Ki Paribhasha in Hindi, पर्यायवाची शब्द की परिभाषा | पर्यायवाची के प्रकार | पर्यायवाची शब्द का अर्थ | पर्यायवाची किसे कहते है | पर्यायवाची शब्द क्या है | पर्यायवाची शब्द के उदाहरण के बारे आपको बताने वाले है.
Paryayvachi Shabd Ki Paribhasha-
पर्यायवाची एक ऐसा शब्द है जिसका अर्थ दूसरे शब्द के समान या लगभग समान होता है। जब शब्दों या वाक्यांशों का अर्थ समान होता है उसे पर्यायवाची शब्द कहते है.
पर्यायवाची शब्द प्राचीन ग्रीक syn जिसका अर्थ है साथ, और ओनोमा , जिसका अर्थ है “नाम” के संयोजन से आया है.
पर्यायवाची शब्द इतने महत्वपूर्ण हैं कि उनके लिए समर्पित एक पूरा संदर्भ कार्य है, जिसे थिसॉरस कहा जाता है – इसे पर्यायवाची शब्दों का एक शब्दकोश है ऐसे शब्द जिनके अर्थ में समानता होती है, उन्हें ‘पर्यायवाची शब्द‘ कहते हैं। पर्यायवाची शब्द को ‘प्रतिशब्द‘ या ‘समानार्थी शब्द‘ भी कहा जाता है। पर्यायवाची शब्द को अंग्रेजी में ‘Synonyms’ कहते हैं।
पर्यायवाची शब्द के प्रकार –
पूर्ण पर्यायवाची शब्द–
ऐसे शब्द जो दूसरे शब्द के स्थान पर वाक्य में प्रयोग होने पर बिल्कुल वही अर्थ देते हैं, पूर्ण पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।
जैसे- पितृ-पिता।
अपूर्ण पर्यायवाची शब्द–
ऐसे शब्द जो दूसरे शब्द के स्थान पर वाक्य में प्रयोग होने पर अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं, अपूर्ण पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।
जैसे- गंगा जल; नाले का पानी।
भावपूर्ण पर्यायवाची शब्द–
भाव के आधार पर बनने वाले पर्यायवाची शब्द, भावपूर्ण पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।
जैसे- कमल-जलज; जलज = जल में जन्म लेने वाला।
पर्यायवाची शब्द का महत्त्व-
- पर्यायवाची शब्द भाषा को अधिक रोचक, अधिक सार्थक और अधिक प्रासंगिक बनाते हैं। गद्य और पद्य दोनों के लिए शब्द चयन में उनकी बहुत बड़ी, केंद्रीय भूमिका है.
- पर्यायवाची शब्दों के बिना कविता का अस्तित्व ही नहीं होता – हमारे द्वारा इनका उपयोग करने का एक मुख्य कारण वर्णनात्मक, रचनात्मक और अभिव्यंजक होना है, और कविता उन तीन चीजों पर निर्भर करती है।
- यदि केवल एक ही शब्द होता तो लिखना, पढ़ना और बोलना कैसा होता! भाषा उबाऊ होगी और उसमें रचनात्मकता के लिए कोई जगह नहीं होगी।
- लेखक इसके सकारात्मक, नकारात्मक या तटस्थ अर्थ के आधार पर एक पर्यायवाची शब्द चुनता है इससे लेखकों को यह कहने में मदद मिलती है.
पर्यायवाची शब्द के उदाहरण-
शब्द | पर्यायवाची शब्द के उदाहरण |
असुर | निशिचर, रजनीचर, दैत्य, तमचर, राक्षस, निशाचर, दानव, रात्रिचर। |
अहंकार | गर्व, अभिमान, घमंड, मान। |
अंधकार | तम, तिमिर, तमिस्र, अँधेरा, तमस, अंधियारा। |
अंग | अंश, अवयव, हिस्सा, भाग। |
अनादर | अपमान, अवज्ञा, अवहेलना, तिरस्कार। |
अंतरिक्ष | खगोल, नभमंडल, गगनमंडल, आकाशमंडल। |
भाई | तात, अनुज, अग्रज, भ्राता, भ्रातृ। |
अंबर | आकाश, आसमान, गगन, फलक, नभ। |
अनमोल | अमूल्य, बहुमूल्य, बेशकीमती। |
अनाथ | तीम, लावारिस, बेसहारा, अनाश्रित। |
अभद्र | असभ्य, अविनीत, अकुलीन, अशिष्ट। |
आँख | लोचन, अक्षि, नैन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृष्टि। |
आक्रोश | क्रोध, रोष, कोप, खीझ। |
इंदु | चाँद, चंद्रमा, चंदा, शशि, मयंक, महताब। |
ईर्ष्या | विद्वेष, जलन, कुढ़न, ढाह। |
उपवन | बाग़, बगीचा, उद्यान, वाटिका, गुलशन। |
उषा | सुबह, भोर, ब्रह्ममुहूर्त। |
ओंठ | ओष्ठ, अधर, लब, होठ। |
ऐश्वर्य | समृद्धि, विभूति। |
औरत | स्त्री, जोरू, महिला, नारी, वनिता, घरवाली। |
कमल | सरोज, जलज, अब्ज, पंकज, अरविंद, पद्म, कंज, शतदल, अंबुज, सरसिज, नलिन, तामरस, नीरज। |
कपड़ा | वस्त्र, चीर, वसन, पट, अम्बर, परिधान। |
किसान | कृषक, भूमिपुत्र, हलधर, खेतिहर, अन्नदाता। |
कान | कर्ण, श्रुति, श्रुतिपटल, श्रवण। |
कुसुम | पुष्प, फूल, प्रसून, पुहुप। |
खग | पक्षी, द्विज, विहग, नभचर, अण्डज, पखेरू। |
गिरि | पहाड़, मेरु, शैल, महीधर, धराधर, भूधर। |
चावल | तंदुल, धान, भात। |
चूहा | मूसा, मूषक, मुसटा, उंदुर। |
जल | मेघपुष्प, अमृत, वारि, नीर, पानी, जीवन, पेय। |
जगत | संसार, विश्व, जग, भव, दुनिया, लोक, भुवन। |
जलाशय | तालाब, ताल, पोखर, सरोवर। |
तरुवर | वृक्ष, पेड़, द्रुम, तरु, पादप। |
मछली | मीन, मत्स्य, झख, जलजीवन, शफरी। |
अंधेरा | तम, तिमिर, अंधकार। |
बादल | घन, जलद, जलधर, मेघ, वारिधर, नीरद। |
अमृत | सुधा, सोम, पीयूष, अमिय, जीवनोदक। |
आँख | नेत्र, दृग, नयन, लोचन, चक्षु, अक्षि, अंबक, दृष्टि, विलोचन। |
आकाश | गगन, नभ, आसमान, व्योम, अंबर, धौ, अंतरिक्ष, अनंत। |
आनंद | मोदी, प्रमोद, हर्ष, आमोद, सुख, प्रसन्नता, आह्लाद, उल्लास। |
इच्छा | आकांक्षा, चाह, अभिलाषा, कामना, ईप्सा, मनोरथ, स्पृहा, ईहा, वांछा। |
ईश्वर | प्रभु, परमेश्वर, भगवान, परमात्मा, जगदीश, अन्तर्यामी। |
मनुष्य | मनुज, नर, मानव, मर्त्य, आदमी। |
उन्नति | उत्थान, उत्कर्ष, उन्नयन, विकास, वृद्धि, अभ्युदय। |
पेड़ | वृक्ष, तरु, द्रुम, पादप, विटप, अगम, गाछ । |
गंगा | सुरसरि, त्रिपथगा, देवनदी, जाह्नवी, भागीरथी। |
गणेश | लंबोदर, एकदंत, मूषकवाहन, गजवदन, गजानन, विनायक, गणपति, विघ्ननाशक, भवानी नंदन, महाकाय, विघ्नराज, मोदकप्रिय, मोददाता। |
घर | गृह, निकेतन, भवन, आलय, निवास, गेह, सदन, आगार, आयतन, आवास, निलय, धाम। |
घोड़ा | अश्व, हय, तुरंग, वाजी, घोटक, सैंधव, तुरंग। |
जंगल | वन, कानन, बीहड़, विटप, विपिन। |
जल | वारि, पानी, नीर, सलिल, तोय, उदक, अंबु, जीवन, पय, अमृत, मेघपुष्प। |
तालाब | सर, सरोवर, तड़ाग, हृद, पुष्कर, जलाशय, पद्माकर। |
दु:ख | पीड़ा, व्यथा, कष्ट, संकट, शोक, क्लेश, वेदना, यातना, यंत्रणा, खेद। |
दूध | दुग्ध, पय, क्षीर, गोरस। |
देवता | सुर, अमर, देव, निर्जर, विबुध, त्रिदश, आदित्य, गीर्वाण। |
नदी | सरिता, तटिनी, तरंगिणी, निर्झरिणी, आपगा, निम्नगा, कूलंकषा। |
पक्षी | विहंग, विहग, खग, पखेरू, परिंदा, चिड़िया, शकुंत, अंडज, पतंग, द्विज। |
पहाड़ | पर्वत, शैल, नग, भूधर, अंचल, महीधर, गिरि, भूमिधर, तुंग, अद्रि। |
पुत्र | बेटा, सुत, तनय, आत्मज, जनज, लड़का, तनुज। |
पृथ्वी | धरा, धरती, वसुधा, भूमि, वसुंधरा, भू, इला, धरा, धरत्री, धरणी। |
फूल | पुष्प, सुमन, कुसुम, प्रसून। |
सिंह | शेर, वनराज, शार्दूल, मृगराज, व्याघ्र, पंचमुख, मृगेंद्र, केशरी, केहरी, केशी, महावीर। |
सूर्य | रवि, दिनकर, सूरज, भास्कर, मार्तंड, मरीची, प्रभाकर, सविता, पतंग, दिवाकर, हंस, आदित्य, भानु, अंशुमाली। |
सुंदर | रुचिर, चारु, रम्य, सुहावना, मनोहर, रमणीक, चित्ताकर्षक, ललित । |
रात्रि | शर्वरी, निशा, रात, रैन, रजनी, यामिनी, त्रियामा, विभावरी, क्षणदा । |
हाथी | गज, हस्ती, मतंग, गज, गयन्द, कुंजर, द्विप, करी। |
स्त्री | ललना, नारी, कामिनी, रमणी, महिला, वनिता, कांता। |
शरीर | देह, तनु, काया, कलेवर, अंग, गात, तन। |
समुद्र | सागर, जलधि, सिंधु, रत्नाकर, नीरनिधि, पयोधि, नदीश, नीरधि, वारिधि, अर्णव, उदधि, पयोनिधि, जलधाम, वारीश, पारावार, अब्धि। |
शत्रु | रिपु, दुश्मन, अमित्र, वैरी, प्रतिपक्षी, अरि, विपक्षी, अराति। |
वायु | हवा, समीर, वात, मारुत, अनिल, पवमान, प्रभंजन, प्रवात, समीरण, मातरिश्वा, बयार, पवन। |
सुगंधि | सौरभ, सुरभि, महक, खुशबू। |
सोना | स्वर्ण, कंचन, कनक, हेम, कुंदन, तपनीय, महारजत। |
अंधकार | तम, तमिस्रा, तिमिर, स्याही, अँधेरा, अंधतमस, तमस, अंधियारा। |
उपवन | बगीचा, बाग, वाटिका, कुसुमाकर, उद्यान। |
साँप | नाग, विषधर, भुजंग, अहि, उरग, काकोदर, फणीश, सारंग, व्याल, सर्प। |
बसंत | ऋतुराज, मधुमास, माघ। |
झंडा | पताका, ध्वजा, ध्वज, केतु, निशान। |
तलवार | असि, करवाल, कृपाण, खडग, शायक, चंद्रहास। |
अश्व | बाजी, घोडा, घोटक, रविपुत्र, हय, तुरंग, सैंधव, दधिका, सर्ता। |
दिन | अह:, दिवस, वासर, दिवा, वार। |
पण्डित | सुधी, विद्वान, कोविद, बुध, धीर, मनीषी, प्राज्ञ, विचक्षण। |
पर्यायवाची की परिभाषा और उदाहरण PDF-
Paryayvachi Shabd Ki paribhasha PDF | Click here |
यह भी पढ़े –
Shabd Shakti Ki Paribhasha, शब्द शक्ति की परिभाषा
Vachya Ki Paribhasha Pdf, वाच्य की परिभाषा
Vyanjan Ki Paribhasha Pdf, व्यंजन की परिभाषा
Swar Ki Paribhasha Pdf, स्वर की परिभाषा
Karak Ki Paribhasha, कारक की परिभाषा उदाहरण सहित
Kriya Ki Paribhasha, क्रिया की परिभाषा उदाहरण सहित
Samas Ki Paribhasha, समास की परिभाषा उदहारण सहित
Alankar Ki Paribhasha Udaharan Sahit, अलंकार की परिभाषा
Sangya Ki Paribhasha, संज्ञा की परिभाषा उदाहरण सहित
Visheshan Ki Paribhasha, विशेषण की परिभाषा उदाहरण सहित
Ras Ki Paribhasha, रस की परिभाषा उदाहरण सहित
निकर्ष-
- जैसा की आज हमने आपको Paryayvachi Shabd Ki Paribhasha, पर्यायवाची की परिभाषा जानकारी के बारे में आपको बताया है.
- इसकी सारी प्रोसेस स्टेप बाई स्टेप बताई है उसे आप फोलो करते जाओ निश्चित ही आपकी समस्या का समाधान होगा.
- यदि फिर भी कोई संदेह रह जाता है तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट कर सकते और पूछ सकते की केसे क्या करना है.
- में निश्चित ही आपकी पूरी समस्या का समाधान निकालूँगा और आपको हमारा द्वारा प्रदान की गयी जानकरी आपको अच्छी लगी होतो फिर आपको इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते है.
- यदि हमारे द्वारा प्रदान की सुचना और प्रक्रिया से लाभ हुआ होतो हमारे BLOG पर फिर से VISIT करे.
6 thoughts on “Paryayvachi Shabd Ki Paribhasha PDF, पर्यायवाची की परिभाषा”