Swar Ki Paribhasha Pdf, स्वर की परिभाषा

आज हम जानेगे की Swar Ki Paribhasha In Hindi, स्वर की परिभाषा | स्वर के प्रकार | स्वर का अर्थ | स्वर किसे कहते है | स्वर क्या है | आपको बताने वाले है.

Swar Ki Paribhasha-

स्वयं राजन्ते इति स्वरः- इसका अर्थ है जो वर्ण स्वयं ही उच्चारित होते हैं वे स्वर कहलाते हैं।

वे वर्ण है जिसे उच्चारण करने या बोलने के लिए किसी अन्य वर्ण की जरूरत नहीं पड़ती, ऐसे वर्णो को स्वर कहते हैं और अंग्रेजी में इन्हें VOWALS कहते है.

अर्ताथ-

वे वर्ण जिनके उच्चारण में श्वांस-वायु बिना किसी रूकावट के अथवा मुख के किसी भाग को बिना छुएँ मुख से निकलती है, उन्हें स्वर कहते हैं।

  • हिन्दी भाषा में कुल ग्यारह स्वर होते हैं। –
  • अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ और औ हैं।
  • हिन्दी भाषा में ऋ को आधा स्वर (अर्धस्वर) माना जाता है,
  • अतः इसे स्वर में शामिल किया गया है।
  • हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं.
  • उच्चारण के आधार पर स्वर वर्णों की संख्या 10 ही मानी गयी है-
  • अ,आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
Swar Ki Paribhasha

स्वर के प्रकार –

उत्पत्ति या निर्माण के आधार पर स्वर :

  • मूल स्वर
  • दीर्घ स्वर
  • संयुक्त स्वर

1) मूल स्वर : मूल स्वर उन्हें कहते हैं जो सबसे पहले आते हैं और इसके बाद ही दूसरे स्वर बनते हैं।

उदाहरण : अ, इ ,उ ,ऋ

2) दीर्घ स्वर : वह स्वर जिसे मूल स्वर से जोड़ा जाता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं।

उदाहरण : अ+अ= आ, इ+इ= ई, उ+उ= ऊ

3) संयुक्त स्वर : जब दो स्वरों को जोड़कर एक स्वर बनता है तो उसे “संयुक्त स्वर” कहते हैं।

उदाहरण : अ,आ + इ, ई = ए – अ,आ + ए, ऐ = ऐ

मात्रा के आधार पर –

  • ह्रस्व स्वर
  • दीर्घ स्वर
  • प्लुत स्वर

1) ह्रस्व स्वर : वह सभी स्वर जिसको बोलते समय कम समय लगता है जिसमे किसी मात्रा का इस्तेमाल नहीं होता ऐसे स्वरों को “ह्रस्व स्वर” कहते हैं.
इनकी संख्या 4 है –

उदाहरण : अ, इ, उ, ऋ

2) दीर्घ स्वर : वह स्वर जिसको बोलते समय ह्रस्व स्वर के मुकाबले अधिक समय लगता है ऐसे स्वरों को दीर्घ स्वर कहते हैं.
दीर्घ स्वर की संख्या 7 होती है

उदाहरण : आ, ई, ऊ, ए,ऐ,ओ,औ

स्वर की परिभाषा
स्वर के प्रकार

3) प्लुत स्वर : जिन स्वरों का उच्चारण करते समय दीर्घ स्वर से अधिक समय लगता है वह प्लुत स्वर कहलाते हैं
इस स्वर का उपयोग जब कोई रोता है या किसी को कोई पुकारता है तब होता है।

उदाहरण :- बाप रे! , रे मोहना, ओउम्

उच्चारण स्थिति के आधार पर –

  • अग्रस्वर
  • मध्य स्वर
  • पश्व स्वर्

1) अग्रस्वर – वह स्वर जिसके उच्चारण में जीभ के अगले भागो का इस्तेमाल होता है उन्हें अग्रस्वर कहते हैं
इसकी संख्या 4 होती है –

उदाहरण :- इ, ई, ऋ, ए, ऐ

2) मध्य स्वर – वह स्वर जिसको बोलते समय जीभ के बीच का भाग काम करता है उसे मध्य स्वर कहते हैं –

उदाहरण : अ

3) पश्व स्वर् – जिन स्वरों को बोलते समय जिह्वा का पीछे वाला भाग काम करता है उसे पश्व स्वर् कहते हैं.

उदाहरण :- आ, ओ ,उ ,औ, ऊ

स्वर की परिभाषा

स्वर की विशेषताएं-

  • स्वर तंत्रियों में अधिक कंपन होता है।
  • उच्चारण में मुख विवर थोड़ा-बहुत अवश्य खुलता है।
  • जिह्वा और ओष्ट परस्पर स्पर्श नहीं करते।
  • बिना व्यंजनों के स्वर का उच्चारण कर सकते हैं।
  • स्वराघात की क्षमता केवल स्वरूप को होती है.

स्वर मात्रा संकेत –

  • आ ा
  • इ ि
  • ई ी
  • उ ु
  • ऊ ू
  • ऋ ृ
  • ए े
  • ऐ ै
  • ओ ो
  • औ ौ

Swar Ki Paribhasha Pdf In Hindi-

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निकर्ष-

  • जैसा की आज हमने आपको स्वर की परिभाषा जानकारी के बारे में आपको बताया है.
  • इसकी सारी प्रोसेस स्टेप बाई स्टेप बताई है उसे आप फोलो करते जाओ निश्चित ही आपकी समस्या का समाधान होगा.
  • यदि फिर भी कोई संदेह रह जाता है तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट कर सकते और पूछ सकते की केसे क्या करना है.
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