Bhasha Ki Paribhasha, भाषा की परिभाषा

आज हम जानेंगे Bhasha Ki Paribhasha, भाषा की परिभाषा, bhasha ke Bhed, भाषा का अर्थ, भाषा के प्रकार, bhasha ka mahatva के बारे में आपको बताने वाले है.

आज हम जानेंगे की bhasha kya hai, bhasha kise kehte hai, definition of Bhasha In Hindi, Language definition in hindi के बारे में बताने वाले है.

Bhasha Ki Paribhasha-

भाषा का मतलब जब कोई भी व्यक्ति अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचा सकता है और स्वयं दूसरों के विचारों को जान सकता है, चाहे वह बात करके, सुनकर, लिखकर या पढ़कर अपनी भावनाओं या विचारों का आदान-प्रदान करे तो उसे भाषा कहते है.

दिव्यांग जो लोग बोल नहीं सकते और जिनके पास शिक्षा भी नहीं है वे एक-दूसरे को अपनी भावनाओं को समझाने और समझने के लिए संकेतों का उपयोग करते हैं उसे भी भाषा कहते है.

Bhasha Ki Paribhasha

भाषा का अर्थ-

भाषा शब्द का अर्थ है यह है की भाषा शब्द संस्कृत की भाष् धातु से बना है, जिसका अर्थ बोलना अथवा कहना होता है। कुछ संकेतो से उकेरा भी जा सकता है जिससे अक्षर बनते हैं और फिर हम अपने भाव बोलने के साथ लिख भी सकते हैं।

भाषा की परिभाषा विद्वानों के द्वारा-

स्वीट के द्वारा बताया गया है की ध्वन्यात्मक शब्दों द्वारा विचारों को प्रकट करना ही भाषा है।”

डॉ. भोलानाथ तिवारी ने भाषा के बारे में कहा है की भाषा वह साधन है, जिसके माध्यम से हम सोचते हैं तथा अपने विचारों को व्यक्त करते हैं।

आचार्य देवेन्द्रनाथ शर्मा के द्वारा कहा गया है की उच्चारित ध्वनि संकेतों की सहायता से भाव या विचार की पूर्ण अथवा जिसकी सहायता से मनुष्य परस्पर विचार-विनिमय या सहयोग करते हैं, उस यादृच्छिक, रूढ़ ध्वनि संकेत की प्रणाली को भाषा कहते हैं।”

डॉ. श्यामसुन्दर दास के अनुसार –“मनुष्य और मनुष्य के बीच वस्तुओं के विषय में अपनी इच्छा और मति का आदान-प्रदान करने के लिए व्यक्त ध्वनि संकेतों का जो व्यवहार होता है उसे भाषा कहते हैं।”

ब्लॉक एवं ट्रेजर के अनुसार भाषा की परिभाषा – “भाषा यादृच्छिक वाक् प्रतीकों की वह व्यवस्था है, जिसके माध्यम से मानव समुदाय परस्पर व्यवहार करता है।”

कामताप्रसाद गुरु ने बताया है की भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचार दूसरों पर भली-भाँति प्रकट कर सकता है और दूसरों के विचार आप स्पष्टतया समझ सकता है।” भाषा की विशेषताएँ

डॉ. बाबूराम सक्सेना के अनुसार कहा गया है की जिन ध्वनि-चिन्हों द्वारा मनुष्य परस्पर विचार-विनिमय करता है, उसको समष्टि रूप से भाषा कहते हैं। “

भाषा की परिभाषा

भाषा के प्रकार – Bhasha ke bhed –

भाषा की परिभाषा

(1) मौखिक भाषा:-

जब मुख से बोलकर एक दूसरे से अपने मानसिक विचार व्यक्त करते हैं तो उसे मौखिक भाषा कहते हैं।

  • भाषा का यह रूप अस्थायी है और इसे बोली जाने वाली भाषा कहते है और इसे सामाजिक परिवेश में स्वाभाविक रूप से प्राप्त करता है।

(2) लिखित भाषा:-

जब मनुष्य ध्वनि संकेत लिखकर एक-दूसरे से अपने विचार व्यक्त करते हैं तो उसे लिखित भाषा कहते हैं।

  • भाषा का यह रूप स्थायी रहता है और समाज द्वारा भावी पीढ़ियों को हस्तांतरित किया जाता है।
  • इस भाषा को कभी भी देखा और पढ़ा जा सकता है।
  • भाषा के इस रूप के लिए एक लिपि की आवश्यकता होती है।

(3) सांकेतिक भाषा –

सांकेतिक भाषा वह भाषा है जिसमें विभिन्न संकेतों का उपयोग करके संदेश को समझाया जाता है.

सांकेतिक भाषा में, आप जो कहना चाहते हैं वह हाथ और उंगलियों के इशारों, चेहरे के भावों, किसी चीज को देखने या आंखों के इशारे से समझाया जाता है उसे सांकेतिक भाषा कहते है.

  • सांकेतिक भाषा वहीं विकसित होती है जहां बधिर लोगों का समुदाय होता है।
  • इसका स्थानिक व्याकरण मौखिक भाषाओं के व्याकरण से स्पष्ट रूप से भिन्न है।
  • बच्चा अपनी बात समझाने के लिए सबसे पहले भाषा के इसी रूप का प्रयोग करता है।
  • बच्चा हाथ हिलाकर सांकेतिक भाषा के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करता है।

bhasha ke mahatva – भाषा का महत्व –

  • भाषा और व्यक्ति की भावनाओं का गहरा संबंध है देश के विचारकों और महापुरुषों का भाषा पर बहुत प्रभाव है।
  • भाषा पर देश की संस्कृति और देवी-देवताओं का प्रभाव भी देखा जा सकता है।
  • भाषा वह आधार है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने पूर्वजों के विचारों और भावनाओं को स्नेहपूर्वक संरक्षित कर पाता है।
  • भाषा के माध्यम से ही पूर्वजों का ज्ञान आज के लोगों और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा गया है।
  • भाषा व्यक्ति को ईश्वर के करीब भी लाती है भाषा के माध्यम से ही व्यक्ति अपनी भक्ति व्यक्त कर सकता है।
  • भाषा से ही व्यक्ति का विकास होता है और इसके विकास से व्यक्तित्व में निखार आता है।
  • भाषा की सहायता से ही मनुष्य अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करता है।
  • भाषा आपको विकसित होने में मदद करती है और विकास के माध्यम से आपकी जीवनशैली और सोच में सुधार करती है।
  • भाषा व्यक्ति, समाज और देश को जोड़ती है भाषा के माध्यम से ही विचारों और संस्कृति का आदान-प्रदान होता है।
  • भाषा के माध्यम से ही व्यक्ति सोच-विचार और मनन कर पाता है इससे वह अपने विचारों को नई उड़ान देते हैं। उनकी सोच से उपजे विचार उनका और देश का विकास करने में सक्षम हैं।
  • किसी देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में भाषा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है देश के प्रति देशभक्ति की भावना, उसके प्रति समर्पण की भावना भाषा से ही प्रकट होती है और भाषा से ही बढ़ती है।
  • भाषा के माध्यम से व्यक्ति अपने विचारों एवं भावनाओं को आसानी से समझा सकता है पशु-पक्षियों के पास भी आवाज होती है लेकिन भाषा केवल इंसानों के पास होती है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने सभी सुख-दुख व्यक्त और साझा करता है।
  • भाषा की सहायता से ही कोई व्यक्ति अपनी कला और प्रतिभा को समाज, देश और दुनिया के सामने प्रस्तुत कर सकता है।
  • भाषा के माध्यम से ही लोग विशेषज्ञों और कलाकारों की प्रतिभा की सराहना और आनंद ले सकते हैं।

यह भी पढ़े –

मौखिक भाषा की परिभाषालिखित भाषा की परिभाषा
सांकेतिक भाषा की परिभाषाराष्ट्र भाषा की परिभाषा

निकर्ष-

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