Karmadharaya Samas Ki Paribhasha Or Udaharan

आज हम जानेगे की karmadharaya Samas Ki Paribhasha In Hindi | कर्मधारय समास की परिभाषा उदाहरण सहित | karmadharaya Samas Ke Prakar | इसी प्रकार की परिभाषा आपको प्रदान करते है.

karmadharaya Samas Ki Paribhasha-

अब हम आपको कर्मधारय समास किसे कहते है, karmadharaya Samas Kya Hota Hai, Definition Of karmadharaya Samas In Hindi, कर्मधारय समास का अर्थ, karmadharaya Samas Ke Udaharan के बारे में बताने वाले है –

समास का ऐसा रूप जिसमे वाक्य का पहला पद विशेषण होता है, और दूसरा पर विशेष्य होता हैं अथवा एक पद उपमान तथा दूसरा पद उपमेय हो तो वह ‘कर्मधारय समास’ कहलाता हैं।

कर्मधारय समास के प्रकार

इस समास में उत्तर पद प्रधान रहता है और वाक्य के विभाजन करते समय दोनों पदों के बीच में “के समान, है जो, रूपी” इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता है।

karmadharaya Samas Ki Paribhasha

कर्मधारय समास के प्रकार –

कर्मधारय समास दो प्रकार के होते हैं –

(1) विशेषता वाचक कर्मधारय समास – विशेष्य विशेषण भाव सूचित करता है।
(2) उपमान वाचक कर्मधारय समास – उपमानोपमेय भाव सूचित करता है।

(1)विशेषता वाचक कर्मधारय समास –

विशेषता वाचक कर्मधारय समास 4 प्रकार के होते है –

  • विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास
  • विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास
  • विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास
  • विशेष्योंभयपद कर्मधारय समास
(1) विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास-

जिस समास में पहला पद विशेषण होता है।

उदाहरण :-

  • अल्पसंख्यक – अल्प है संख्या जो
  • नीलकंठ – नीला है जो कंठ
  • महाकाव्य – महान है जो काव्य
  • परमात्मा – परम है जो आत्मा
  • अंधभक्ति – अंध है जो भक्ति
(2) विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास-

जिस समास में पहला पद विशेष्य होता है, उसे विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास कहते है।

उदाहरण :-

  • विंध्य पर्वत – विंध्य नामक पर्वत
  • कुमारश्रमणा – कुमारी श्रमणा
  • धर्मबुद्धि – धर्म है यह बुद्धि
(3) विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास-

जिस समास में दोनों पद विशेषण होते है, उसे विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास कहते है।

उदाहरण :-

  • शुद्धाशुद्ध – शुद्ध है जो अशुद्ध है जो
  • बड़ा – छोटा – जो बड़ा है जो छोटा है
  • श्यामसुन्दर – जो श्याम है जो सुंदर है
  • लालचट्ट – अत्यंत लाल
(4) विशेष्योंभयपद कर्मधारय समास-

जिस समास में दोनों पर विशेष्य होते है, उसे विशेष्योंभयपद कर्मधारय समास कहते है।

उदाहरण :-

  • आमगाछ
  • वायस-दम्पति

(2)उपमान वाचक कर्मधारय-

उपमान वाचक कर्मधारय समास के 4 भेद है –

(1) उपमापूर्व पद
(2) उपमानोत्तर पद
(3) अवधारणा पूर्व पद
(4) अवधारणोत्तर पद

karmadharaya Samas Ke Udaharan
karmadharaya Samas Ke Udaharan

karmadharaya samas ke udaharan-

समाससमास विग्रह
मंदबुद्धिमंद है जिसकी बुद्धि
नीलगगननीला है जो गगन
महात्मामहान् है जो आत्मा
लाल-मिर्चलाल है जो मिर्च
कापुरुषकायर है जो पुरुष
मृगनयनीमृग के समान नयनों वाली
तुषारधवलतुषार (बर्फ) के समान धवल (सफेद)
ज्ञानौषधिज्ञान रूपी औषधि
कुपुत्रकुत्सित है जो पुत्र
कुमतिकुत्सित है जो मति
अधमराआधा है जो मरा
नीलोत्पलनीला है जो आचार
सुलोचनासुन्दर हैं जिसके लोचन
भ्रष्टाचारभ्रष्ट है जो आचार
परमात्मापरम है जो आत्मा
राजर्षिजो राजा है जो ऋषि है
कोमलांगीकोमल हैं जिसके अंग/कोमल अंगों वाली
अल्पसंख्यकअल्प है जो संख्या में
सज्जनसत् है जो जन
महापुरुषमहान् है जो पुरुष
मीनाक्षीमीन के समान अक्षि वाली
उङनतस्तरीउङती है जो तस्तरी
नवोढ़ानव है जो ऊढ़ा
लघूत्तरलघु है जो आचार
भ्रष्टाचारभ्रष्ट है जो आचार
पाषाणहृदयपाषाण के समान हृदय
नृसिंहजो नर है जो सिंह है
संसार सागरसागर रूपी संसार
नवयुवकनव है जो युवक
वीरबालावीर है जो बाला
पुरुषसिंहसिंह रूपी पुरुष
वचनामृतअमृत रूपी वचन
दीर्घायुदीर्घ है जो आयु
महाराजामहान् है जो राजा
अल्पायुअल्प है जो आयु
क्रोधाग्निअग्नि रूपी क्रोध
पूर्णेंंदुपूर्ण है जो इन्दु
शुभागमनशुभ है जो आगमन
बदबूबद है जो बू
नील कमलनीला है कमल जो
नील गायनीली है जो गाय
मीनाक्षीमीन (मछली) के समान नेत्रों वाली
महाजनमहान् है जो जन
परमानंदपरम है आनन्द जो
भला मानसभला है जो मनुष्य
पीताम्बरपीला है जो वस्त्र

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निकर्ष-

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