Buniyadi Shiksha Ki Paribhasha, बुनियादी शिक्षा की परिभाषा

आज हम जानेंगे की Buniyadi Shiksha Ki Paribhasha In Hindi, बुनियादी शिक्षा की परिभाषा | बुनियादी शिक्षा का अर्थ के बारे में बताने वाले है और इसी प्रकार की परिभाषा जानने के लिए देख सकते है.

आज हम जानेंगे की Buniyadi Shiksha kya hai, बुनियादी शिक्षा किसे कहते है, Definition of Buniyadi Shiksha In Hindi के बारे में बताने वाले है.

Buniyadi Shiksha Ki Paribhasha-

बुनियादी शिक्षा वह है जिस शिक्षा में विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्पों का प्रशिक्षण प्रदान करते हुए बालकों का शारीरिक, मानसिक, नैतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास करना है और शिक्षा को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाता है इसे बुनियादी शिक्षा कहते है.

बुनियादी शिक्षा की परिभाषा-

कोमल जैन के अनुसार बुनियादी शिक्षा – बुनियादी शिक्षा वह है बच्चो की नीव तैयार करती है जिसमे इसका एक मात्र उद्देश्य शिक्षा देना ही नहीं है बल्कि की बुनियादी चीजों को सीखाना भी होता है जीवन में कुछ करके दिखाना होता है जिससे बच्चे का विकास हो सके है यही बुनियादी शिक्षा की परिभाषा होती है.

बुनियादी साक्षात्कार के बारे में सबसे पहले गांधी जी ने इस बुनियादी प्रशिक्षण और प्राथमिक स्तर की शिक्षा के दो स्तर थे-

स्कूली बच्चे कक्षा-एक से ही तकली से सूत कातते थे, रूई से पौनी बनाते थे और सूत की गुड़िया बनाकर या तो खादी भंडारों को देते थे या बैठने के आसन, रुमाल, चादर आदि बनाते थे।

Buniyadi Shiksha Ki Paribhasha, बुनियादी शिक्षा की परिभाषा
Buniyadi Shiksha Ki Paribhasha, बुनियादी शिक्षा की परिभाषा

बुनियादी शिक्षा का रूपरेखा-

  • बुनियादी शिक्षा में 6-14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जायेगी तथा बेसिक शिक्षा का कालखण्ड 7 वर्षों का होगा।
  • बुनियादी शिक्षा में हिन्दी माध्यम से प्रदान की जायेगी।
  • बुनियादी शिक्षा में बालकों को शिल्पकार बनाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा।
  • बुनियादी शिक्षा में शिल्प जरूरतों के अनुसार होंगे।
  • बुनियादी शिक्षा में शिल्प कार्य शिक्षा देते समय यह ध्यान में रखा जायेगा कि विद्यार्थी शिल्प के वैज्ञानिक तथा सामाजिक दृष्टिकोण को जान जायें।

बुनियादी शिक्षा का उद्देश्य –

  • व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना
  • शारीरिक एवं सामाजिक विकास करना
  • भारतीय एवं सभी देशों की संस्कृति को अच्छी बातें ग्रहण करने हेतु तैयार करना
  • लोकतंत्र की भावना का विकास करना।
  • बालकों को स्वावलंबी बनाना
  • आध्यात्मिक एवं नैतिक विकास करना
  • चरित्र का निर्माण करना
बुनियादी शिक्षा की परिभाषा

बुनियादी शिक्षण विधि

  • बुनियादी शिक्षा मूलरूप से व्यावहारिक होती है तथा बालक एक साथ कई विषयों का ज्ञान प्राप्त कर लेता है।
  • जैसे-जैसे बच्चा आगे की कक्षाओं में पहुँचता है वैसे ही उसे विभिन्न विषयों का ज्ञान भी प्राप्त होता रहता है।
  • बुनियादी शिक्षा क्रियाओं तथा अनुभवों पर आधारित है इसीलिए इसका ज्ञान थोड़े से समय में ही हो जाता है।
  • मातृभाषा का ज्ञान होने पर बच्चे पहले उसे पढ़ना तथा फिर लिखना सीखते हैं।
  • सबसे पहले बच्चों को कहानी तथा बातचीत के माध्यम से मातृभाषा का ज्ञान कराया जाता है।
  • पढ़ाई के साथ-साथ बालक किसी आधारभूत शिल्प का ज्ञान भी प्राप्त करते हैं।
  • प्राकृतिक वातावरण, सामाजिक वातावरण तथा हस्तकला के माध्यम से अनेक विषयों का ज्ञान बालकों को कराया जाता है।
  • बालक अपनी रुचि के अनुसार हस्तशिल्प का चयन करता है।

बुनियादी शिक्षा की विशेषतायें-

  • कक्षा पाँच तक शिक्षा का पाठ्यक्रम सह-शिक्षा के रूप में है।
  • छठी तथा सातवीं की कक्षाओं में बालिकाओं की गृहविज्ञान की शिक्षा आधारभूत शिल्प के स्थान पर मान्य हो सकती है।
  • सातवीं तथा आठवीं की कक्षाओं के लिए संस्कृत, वाणिज्य, आधुनिक भारतीय साहित्य आदि विषय हैं।
  • पाठ्यक्रम में अंग्रेजी व धर्म का कोई स्थान नहीं है।
  • शिक्षा का माध्यम मातृभाषा है लेकिन राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी अनिवार्य है।
  • पाठ्यक्रम का स्तर वर्तमान मौद्रिक के स्तर का है।

बेसिक शिक्षा के गुण-

  • बेसिक शिक्षा में सात वर्ष से लेकर चौदह वर्ष तक के बालक-बालिकाओं के लिए निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की गयी।
  • बेसिक शिक्षा का जीवन के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है और इसमें वास्तविक उत्तरदायित्व की भावना उत्पन्न होती है।
  • बेसिक शिक्षा में अपव्यय नहीं होता और विद्यार्थी उत्तम नागरिकता के गुणों से युक्त “हो जीविका की समस्या सुलझाने में समर्थ हो सकता है।
  • बेसिक शिक्षा केवल माता-पिता की दृष्टि से ही निःशुल्क होगी अर्थात् संरक्षकों को अपनी बालकों की शिक्षा व्यवस्था का खर्च न देना होगा, लेकिन स्वयं विद्यार्थी को अपनी शिक्षा का व्यय उत्पादक कार्य के रूप में देना होगा।
  • बेसिक शिक्षा का केन्द्र बालक है और उसमें क्रिया व आत्मचेष्टा द्वारा किसी विषय को सीखने पर जोर दिया जाता है तथा उसकी वैयक्तिक रुचि पर ध्यान रखा जाता है।
  • यह शिक्षा बालक के वातावरण घर, ग्राम व हस्तोद्योग से सम्बन्धित रहती है और इसका आधारबिन्दु भी यही वातावरण है।
  • बेसिक शिक्षा में अंग्रेजी भाषा के स्थान पर मातृ-भाषा को माध्यम माना गया और हिन्दी के साथ-साथ प्रादेशिक भाषाओं के विकास को भी समुचित अवसर दिया गया।
  • इसमें प्रशिक्षित अध्यापकों की ही नियुक्ति होती है और अध्यापकों को अधिक स्वतंत्रता भी दी जाती है।
  • बेसिक शिक्षा किसी हस्तोद्योग या उत्पादक कार्य द्वारा दी जाती है तथा यह हस्तोद्योग ऐसा होता है जो साधन व साध्य दोनों का ही काम करता है तथा जिसके साथ अन्य विषय भी सम्बद्ध होते हैं।

बुनियादी शिक्षा के दोष :

  • यह शिक्षा महँगी है।
  • बालक की रूचियों और प्रवृत्तियों का विकास होने में बाधक।
  • सभी विषयों की शिक्षा देना कठिन ही नहीं बल्कि असंभव है।
  • औद्योगिक प्रगति में बाधक।
  • अधिक बल देने से बालक की अवहेलना होने लगती है।

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FAQ-

बुनियादी शिक्षा का दूसरा नाम क्या है?

बुनियादी शिक्षा का दूसरा नाम वर्धा योजना, नयी तालीम, ‘बुनियादी तालीम’ तथा ‘बेसिक शिक्षा’ के नामों से भी जाना जाता है।

बुनियादी शिक्षा के जनक कौन है?

 बुनियादी शिक्षा के जनक महात्मा गांधीजी ने सबसे पहले बुनियादी शिक्षा की कल्पना की थी। 

बुनियादी शिक्षा कितने प्रकार की होती है?

 बुनियादी शिक्षा दो प्रकार है—
(i) बुनियादी शिक्ष प्राप्त करने वाला बालक किसी हस्तशिल्प को सीखकर, उसे अपने भावी जीवन के निर्वाह का साधन बनाए,
(ii) विद्यालय के बालकों द्वारा बनाई जाने वाली वस्तुओं को बेचकर, अध्यापकों को वेतन दिया जाय।

बुनियादी शिक्षा की स्थापना कब हुई?

बुनियादी शिक्षा की स्थापना महात्मा गांधी ने वर्ष 1946 में अपने आश्रम में बुनियादी शिक्षा की शुरुआत की थी।

निकर्ष-

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