आज हम जानेगे की Manvikaran Alankar Ki Paribhasha | मानवीकरण अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित| मानवीकरण अलंकार का अर्थ आपको हम इसमें बताने वाले है.
Manvikaran Alankar Ki Paribhasha-
अब आपको यंहा पर हम Manvikaran Alankar kya hai, Manvikaran Alankar kise kehte hai, Defination of Manvikaran Alankar in hindi, Manvikaran Alankar ki puri kahani बताने वाले है-
जहां काव्य में चेतन-अचेतन अवस्था का संबंध तथा क्रियाकलापों को मनुष्य के व्यवहार से जोड़कर प्रस्तुत किया जाता है वहां मानवीकरण अलंकार होता है।
जहाँ पर स्थिर और निर्जीव चीजों का मनुष्य के जैसा बर्ताव और क्रियाएं करने का वर्णन हो वहां पर मानवीकरण अलंकार होता है।
मानवीकरण अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित-
जैसे –
- दिवसावसान का समय
- मेघ आसमान से उतर रही है
- वह संध्या सुंदरी परी-सी
- धीरे-धीरे-धीरे।
उपर दिए उदाहरण में संध्या समय का दृश्य है, जिसका वर्णन सुंदर परी के रूप में किया है। यहां प्रकृति को मनुष्य के क्रियाकलाप से जोड़ा गया है।
manvikaran alankar ke udaharan-
अब हम आपको हम यंहा पर मानवीकरण अलंकार के सरल उदाहरण, manvikaran alankar ke easy example in hindi में बताने वाले है-
- बीती विभावरी जाग री
- अंबर पनघट में डुबो रही
- तारा घट उषा नागरी।
उपर दिए उदाहरण में अंबर रूपी पनघट में तारा रूपि उषा को स्त्री के रूप में चित्रित किया है। यह पनघट पर पानी भरने के लिए गई है।
- पेड़ झुक झांकने लगे गर्दन उचकाय
- अंधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए
उपर दिए उदाहरण में पेड़ो द्वारा झांकने व धूल द्वारा घाघरा उठा कर भागने के वर्णन है। यह दोनों ही क्रियाएँ मानवों द्वारा होती हैं। अतः यहाँ पर मानवीकरण अलंकार है.
- श्रद्धानत तरुओं की अंजली से झरे पात
- कोंपल के मूंदे नयन थर-थर-थर पुलकगात।
- उपर दिए उदाहरण में वृक्ष और उसके शाखाओं को मानवीय व्यवहार से जोड़ा गया है.
- खंड-खंड करताल बाजार ही विशुद्ध हवा।
उपर दिए उदाहरण में हवा का करताल बजाना मानवीय व्यवहार को प्रकट करता है। क्योंकि करताल मनुष्य द्वारा बजाए जाने वाला वाद्य यंत्र है। अतः यहां मानवीकरण अलंकार है।
- तनकर भाला यह बोल उठा
- राणा मुझको विश्राम न दे
- मुझको शोणित की प्यास लगी
- बढ़ने दे, शोणित पीने दे
उपर दिए गये उदाहरण में भाले द्वारा तनकर खड़े हो जाने और महाराणा प्रताप से विश्राम न देने की बात कहते हुए दिखाया गया है जो कि केवल मानव द्वारा ही संभव है। अतः यहाँ पर मानवीकरण अलंकार है।
- इस सोते संसार बीच
- जगकर सजकर रजनीबाले।
उपर दिए उदाहरण में रात को कन्या के रूप में बताया गया है , जो सज संवर कर घूम रही है।
- नेत्र निमीलन करती मानो
- प्रकृति प्रबुद्ध लगी होने।’
यंहा पर यह स्पष्टीकरण किया गया है की आँखें खोलती हुई प्रकृति में मानवीय कियाओं के आरोपण से मानवीकरण अलंकार है।
- आए महंत वसंत।
उपर दिए उदाहरण में बसंत को महंत अर्थात मानव माना गया है जो सज संवर कर आया है.
- मेघ आए बड़े बन-ठन के सवर के। ।
उपर दिए उदाहरण में बादलों के सजने सवरने का जिक्र है जो मानवीय क्रिया से जोड़ती है।
- मैं तो मात्र मृत्तिका हूं कुंभ और कलश बनकर।
- जल लाती तुम्हारी अंतरंग प्रिया हो जाती हूं। ।
यंहा पर यह स्पष्टीकरण किया गया है की मृतिका अर्थात मिट्टी कह रही है कि मैं कलश या कुंभ बनकर कार्य करती हूं जिसमें मदिरा या जल आदि को भरकर अंतरंग अर्थात अकेलेपन की साथी या प्रिया बन जाती हूं।
- धीरे-धीरे उतर क्षितिज से आ बसंत-रजनी।
उपर दिए उदाहरण में बसंत ऋतु की रात को उतर कर अपने पास आने के लिए कहा है अर्थात यहां मानव का संबंध स्थापित किया गया है।
- तिनको के हरे-हरे तन पर।
- लो हरित धरा से झांक रही
- नीलम की कली, तीसी नीली।
- हंस रही सखियां मटर खड़ी।
उपर दिए उदाहरण में मटर को स्त्री के रूप में चित्रित किया गया है जो खड़ी होकर एक साथ हंसती हुई प्रतीत हो रही है.
- चल रे चल – मेरे पागल बादल। ।
यंहा पर यह स्पष्टीकरण किया गया है बादल को पागल के समान माना है अर्थात मानव के साथ संबंध स्थापित करने का प्रयास किया है आतः यह मानवीकरण अलंकार सिद्ध होता है।
- अरहर सनई की सोने की
- कंकरिया है शोभाशाली।
उपर्युक्त उदाहरण में चने को मानव के रूप में चित्रित किया है जो सिर पर पगड़ी बांधकर खड़ा है .
- सिमटा पंख सांझ की लाली
- जा बैठी अब तरु शिखरों पर।
- उपर्युक्त उदाहरण में संध्या की सूर्य को पक्षी के रूप में चित्रित किया है , जो वृक्ष पर बैठा प्रतीत हो रहा है।
- खंड-खंड करताल बाजार ही विशुद्ध हवा।
यंहा पर यह स्पष्टीकरण किया गया है की हवा का करताल बजाना मानवीय व्यवहार को प्रकट करता है, क्योंकि करताल मनुष्य के द्वारा बजाया जाने वाला वाद्य यंत्र है। अतः यहाँ ‘मानवीकरण अलंकार’ है।
- बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की।
- आगे-आगे नाचती गाती बाजार चली।
- बीच में अलसी हठीली
- देह की पतली, कमर की है लचीली।
उपर दिए उदाहरण में अलसी के पौधे को नव युवती के रूप में चित्रित किया है। जिसकी चाल हठीली है , कमल पतली है और देह लचीला बताया है.
- अचल हिमगिरि के हृदय में आज चाहे कंप हो ले
- या प्रलय के आंसुओं में मौन अलखित व्योम रो ले।
- तुंग हिमालय के कंधों पर छोटी-बड़ी कई झीलें हैं।
उपर्युक्त उदाहरण में हिमालय को मानव बताकर उसके कंधों पर झील होने का संकेत है।
- यह हरा ठीगना चना, बांधे मुरैठा शीश पर।
उपर्युक्त उदाहरण में गुलाब कैसे निर्जीव में भी बोलने का गुण विद्यमान है अतः यहां मानवीकरण के संकेत मिलते हैं।
- अपनी एक टांग पर खड़ा है यह शहर
- अपनी दूसरी टांग से
- बिलकुल बेखबर।
उपर्युक्त उदाहरण में शहर को मनुष्य के रूप में बताया है जो अपनी एक टांग पर खड़ा है। अतः यहां मानवीकरण अलंकार है।
यह भी पढ़े –
निकर्ष-
- जैसा की आज हमने आपको Manvikaran Alankar Ki Paribhasha, मानवीकरण अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित, manvikaran alankar ke udaharan जानकारी के बारे में आपको बताया है.
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