आज हम जानेगे की Vibhavana Alankar Ki Paribhasha | विभावना अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित | विभावना अलंकार का अर्थ आपको हम इसमें बताने वाले है.
अब आपको यंहा पर हम विभावना अलंकार क्या है, विभावना अलंकार किसे कहते है, Defination Of Vibhavana Alankar In Hindi, Vibhavana Alankar Ke udaharan के बारे में बताने वाले है-
Vibhavana Alankar Ki Paribhasha-
विभावना -> वि=विशिष्ट, भावना=भावना, कल्पना।
सामान्यतः जबतक कोई कारण नहीं हो तब तक कार्य नहीं होता लेकिन बिना कारण के कार्य होना पाया जाता है उसे विभावना अलंकार कहते है.
अर्ताथ
जहाँ कारण के न होते हुए भी कार्य का होना पाया जाय वेह विभावना अलंकार कहलाता है.
विभावना अलंकार की परिभाषा संस्कृत में –
हेतुं विना यत्र कार्योत्पत्ति: दृष्यते तत्र विभावना अलंकार: भवति ।
विभावना विना हेतुं कार्योत्पत्तिर्यदुच्यते ।
अर्थात्
यत्र कारणेन विना एव कार्यस्य उत्पत्ति: प्रदर्श्यते तत्र विभावना अलंकार: भवति ।
विभावना अलंकार के उदाहरण व्याख्या सहित-
उदाहरण:-
- तो सों को जेहि दो सौ आदमी सों जीत्यौ
- जंग सरदार सौ हज़ार असवार को॥
यहाँ शिवाजी के पराक्रम का वर्णन है। उन्होंने दो सौ सैनिकों को साथ लेकर एक लाख घुड़सवार योद्धाओं वाली सेना को जीत लिया है। युद्ध जीतने का कारण दो सौ सैनिकों का होना अपर्याप्त कारण है।
उदाहरण:-
- बिनु पग चलै सुनै बिनु काना।
- कर बिनु करम करै विधि नाना।।
- आनन रहित सकल रस भोगी ।
- बिनु बानी बकता बड़ जोगी।।
स्पष्टीकरण – उपर्युक्त उदाहरण में कारण न होते हुए भी कार्य का होना बताया जा रहा है । बिना पैर के चलना, बिनाकान के सुनना, बिना हाथ के नाना कर्म करना, बिना मुख के सभी रसों का भोग करना और बिना वाणी के वक्ता होना कहा गया है । अतः यहाँ विभावना अलंकार है ।
उदाहरण :-
- क्यों न उत्पात होहिं बैरिन के झुंड में।
- कारे घन उमड़ि अंगारे बरसत हैं।
यहाँ युद्ध क्षेत्र में शत्रु सेना में उत्पात होने का कारण काले बादलों द्वारा अंगारों की वर्षा होना बताया गया है। यहाँ कारण (बादलों द्वारा अंगारे बरसाना) वास्तविक कारण नहीं है।
उदाहरण:-
- रखवारे हति बिपिन उजारा।
- देखत तोहि अक्ष जेहि मारा।।
यंहा पर रखवारे और तुम्हारे (रावण) जैसे प्रतिबंधक के होते हुवे हनुमानजी ने अक्षय कुमार को मार डाला।
उदाहरण –
- मूरख ह्रदय न चेत , जो गुरु मिलहिं बिरंचि सम |
- फूलहि फलहि न बेत , जदपि सुधा बरसहिं जलद |
उदाहरण :-
- क्यों न उत्पात होहिं बैरिन के झुंड में।
- कारे घन उमड़ि अंगारे बरसत हैं।
उदाहरण-
- हँसत बाल के बदन में, यों छबि कछू अतूल।
- फूली चंपक-बेलि तें, झरत चमेली फूल।।
उदाहरण :-
- नाचि अचानक ही उठे बिनु पावस बन मोर।।
- जानति हों नन्दित करी यह दिशि नंदकिशोर ॥
उदाहरण :-
- और नदी-नदन तें, कोकनद होत हैं।
- तेरी कर कोकनद नदी-नद प्रगटत है।
उदाहरण :-
- निन्दक नियरे राखिए आँगन कुटी छवाय ।
- बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय ।।
उदाहरण:-
- खल परिहास होइ हित मोरा।
- काक कहहि कल कंठ कठोरा।।
उदाहरण:-
- नेह न नैनन को कछु उपजी बड़ी बलाय।
- नीर भरे नित प्रति रहे तउ न प्यास बुझाय।।
उदाहरण –
- काम कुसुम-धनु-सायक लीन्हें।
- सकल भुवन अपने बस कीन्हें।।”
अन्य अलंकर की परिभाषा भी पढ़े –
निकर्ष-
जैसा की आज हमने आपको विभावना अलंकार की परिभाषा और विभावना अलंकार के उदाहरण के बारे में आपको बताया है.
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