Asangati Alankar Ki Paribhasha, असंगति अलंकार की परिभाषा

आज हम जानेगे की Asangati Alankar Ki Paribhasha In Hindi, असंगति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित, Asangati Alankar Ke udaharan, असंगति अलंकार किसे कहते है आपको हम इसमें बताने वाले है.

अब आपको यंहा पर हम असंगति अलंकार क्या है,असंगति अलंकार का अर्थ, Defination Of Asangati Alankar In Hindi के बारे में बताने वाले है-

Asangati alankar Ki Paribhasha-

जिस पंक्ति में कारण और कार्य में आप में परित्याग का सबंध होता है वह पर से असंगति अलंकार होता है.
अर्त्ताथ
जिस अलंकार में कारण और कार्य के बीच में तालमेल न बैठने पर जो असंगति उत्पन्न होती है वेह असंगति अलंकार कहलाता है.

Asangati alankar Ki Paribhasha

असंगति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित

अब आपको हम यंहा पर नीचे असंगति अलंकार के सरल उदाहरण व्याख्या सहित आपको नीचे समझाने वाले है –

उदाहरण –

  • पिचका चलाइ और जुवती भिजाइ नेह,
  • लोचन नचाइ मेरे अंगहि नचाइ गौ।

स्पष्टीकरण – उपरोक्त पंक्तियों में क्रिया कृष्ण के नेत्रों में होती है, परन्तु प्रभाव गोपी के अंग पर होता है। उसका अंग-अंग उसके लोल लोचनों के कटाक्ष में नाच उठता है।

उदाहरण –

  • दृग उरझत, टूटत कुटुम, जुरत चतुर चित प्रीति ।
  • परति गाँठ दुरजन हिये, दई नई यह रीति ॥

स्पष्टीकरण – उपयुक्रत पंक्ति में बताया गया है की यंहा पर आँखे भी उलझती है और कुटम भीटूट जाते है पर जो चतुर होते है उनमे फिर से प्रीती हो जाती है और दुर्जन के ह्रदय में गांठ भी पड जाती है इस प्रकार से कारण कहीं और कार्य कहीं हो रहा है। अतः यहाँ असंगति अलंकार है।

उदाहरण –

“हृदय घाव मेरे पीर रघुवीरै।”

स्पष्टीकरण – यंहा पर लक्षमण को शक्ति लगती है तो घाव तो लक्ष्मण के हृदय में हैं, पर पीड़ा राम को है, इससे साबित होता है कारण कही है और कार्य कही और हो रहा है अत: यहाँ असंगति अलंकार है।

असंगति अलंकार के उदाहरण

Asangati Alankar Ke udaharan- असंगति अलंकार के 10 उदाहरण

  • हृदय घाउ मेरे पीर रघुबीरै ।
  • पाइ सजीवन जागि कहत यों, प्रेम पुलकि बिसराइ सरीरै ।
  • मेरी जीवन की उलझन, बिखरी थी उनकी अलके |
  • पीली मधु मदिरा किसने, थी बंद हमारी पलके ||
  • लागत जो कंटक तिहारे पाँइ प्यारे हाइ ।
  • आइ पहिले ही हिय बोधत हमारे है ।।
  • उर में बिजली सी चमकी, नैनो में जल भर आया |
  • क्या जाने आज अचानक, किस स्मृति का घन घिर आया ||
  • गोकुल दधि बेचन चली, पहुँ बन हरि पास
  • गई रही हरि भजन को, ओटल लगी कपास ।।
  • रहिमन जिह्वा बाबरी, कही गई सरग पताल |
  • आपू जो भीतर गयी, जूती खात कपाल ||
  • पलकि पीक अंजन अधर धरे महावर भाल।
  • आजु मिले सो भलि करी भले बने हो हाल ।।
  • राजू देन कहं शुभ दिन साधा |
  • कहेऊ जान बन केही अपराधा ||
  • पिचका चलाइ और जुवती भिजाइ नेह,
  • लोचन नचाइ मेरे अंगहि नचाइ गौ।।
  • तुमने पैरों में लगाई मेंहदी
  • मेरी आँखों में समाई मेंहदी।

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निकर्ष-

जैसा की आज हमने आपको असंगति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित के बारे में आपको बताया है.

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